One Nation One Election: बहुमत नहीं होने के बावजूद भी मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक, अब क्या-क्या बदलेगा?
One Nation One Election News:एक देश एक चुनाव पर कोविंद कमिटी की रिपोर्ट को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। सरकार इसी शीतकालीन सत्र में बिल को पेश करेगी।
नई दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट ने वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर कोविंद कमिटी की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद केंद्र सरकार इस पर बिल लेकर आएगी। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार इसी साल शीतकालीन सत्र में बिल को पेश करेगी। लोकसभा से बिल पास हो जाने के बाद राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इसके बाद राष्ट्रपति की मुहर लगेगी। राष्ट्रपति की मुहर के बाद देश में वन नेशन वन इलेक्शन लागू हो जाएगा। सियासी जानकार इसे मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक मान रहे हैं क्योंकि लोगों को लग रहा था कि बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। ऐसे में बड़े फैसले नहीं ले सकती है। अब सरकार ने कोविंद कमिटी की रिपोर्ट को मंजूरी देकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिया है। आइए इस वन नेशन वन इलेक्शन से देश में क्या क्या बदल जाएगा।
कैसे हुई शुरुआत
दरअसल, देश में लंबे समय से एक देश एक चुनाव की मांग उठ रही है। अलग-अलग समय पर चुनाव होने की वजह से खर्च बहुत होता है। ऐसे में सितंबर 2023 में सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक कमिटी बनाई थी। यह कमिटी वन नेशन वन इलेक्शन की संभावनाओं पर चर्चा कर रही थी। कमिटी ने अध्ययन करने के बाद मार्च 2024 में वन नेशन और वन इलेक्शन पर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी।
सभी पार्टियों से साथ आने की अपील की थी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार एक देश एक चुनाव को लेकर वकालत करते रहे हैं। इसी साल 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर से उन्होंने देश के सभी सियासी दलों से अपील की थी। एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर सभी लोग साथ आएं। वहीं, लोकसभा चुनाव के दौरान देश के लोगों से भारतीय जनता पार्टी ने वादा भी किया था। कैबिनेट से कोविंद कमिटी की रिपोर्ट को मंजूरी मिलने के बाद यह मान लिया गया है कि मोदी सरकार इसके लिए तैयार है।
2029 में एक साथ हो सकते हैं सारे चुनाव
वहीं, अब यह चर्चा शुरू हो गई है कि कैबिनेट से रिपोर्ट को मंजूरी मिल गई है। सरकार इसी साल शीतकालीन सत्र में इस बिल को ला सकती है। दोनों सदनों से बिल पास हो जाता है तो कानून बनाने पर काम शुरू हो जाएगा। कानून बनने के बाद पहली बार 2029 में लोकसभा चुनाव के बाद पूरे देश में एक साथ चुनाव हो सकता है।
14 मार्च को सौंपी थी रिपोर्ट
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसी साल द्रौपदी मुर्मू को 14 मार्च को रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट साढ़े 18 हजार पन्नों की थी। इसमें लोकसभा और विधानसभा चुनाव के साथ-साथ नगर निकायों और पंचायत चुनाव की सिफारिश थी। रिपोर्ट की सिफारिश के अनुसार लोकसभा और विधानसभा चुनाव के 100 दिन बाद निकाय और पंचायत के चुनाव होंगे।
संविधान में करना होगा बदलाव
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 83 और 172 में संशोधन करने के साथ-साथ एक नया अनुच्छेद 82ए जोड़ना पड़ेगा। पूर्व से अनुच्छेद 83 में लोकसभा का और 172 में विधानसभा का कार्यकाल पांच साल तय है। साथ ही राज्य के विधानसभाओं से भी अनुमोदन की जरूरत नहीं पड़ेगी। कानून में बदलाव सीधे केंद्र की सरकार कर सकती है।
इसके साथ ही नगर पालिका और निकायों को भंग करने के लिए अनुच्छेद 325 में संशोधन करना होगा। ये तभी लागू होगा, जब 15 राज्यों की विधानसभों से इसे मंजूरी मिलेगी।
पहले होते रहे हैं एक साथ चुनाव
गौरतलब है कि भारत में आजादी के बाद एक साथ चुनाव होते रहे हैं। 1952, 1957, 1962 और 1967 में भारत में एक देश एक चुनाव होते थे। बाद में कुछ विधानसभाएं भंग हुई। इसके बाद एक देश एक चुनाव की परंपरा टूटती चली गई।