करवा चौथ उत्तर और पश्चिमी भारत में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व पति के प्रति पत्नियों के अटूट प्रेम और समर्पण को दर्शाता है। महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सुरक्षा और अच्छे स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत को करक चतुर्थी भी कहा जाता है क्योंकि यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।

करवा चौथ का व्रत काफी कठोर

दरअसल, 'करवा' एक मिट्टी के बर्तन को कहते हैं जिसका उपयोग चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए किया जाता है। महिलाएं इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा करती हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत तोड़ा जाता है। करवा चौथ का व्रत काफी कठोर होता है, जिसमें महिलाएं सूर्योदय से लेकर रात में चंद्रमा दिखने तक पानी और भोजन का त्याग करती हैं।

छलनी से चांद देखती हैं महिलाएं

यह व्रत न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि इसका सांस्कृतिक महत्व भी है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां गेहूं की खेती होती है। कई जगहों पर मिट्टी के बर्तनों को 'करवा' कहा जाता है जो इस ओर इशारा करता है कि यह व्रत अच्छी फसल की कामना से भी जुड़ा हो सकता है। चंद्रमा पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पूजा सूर्योदय से पहले शुरू होती है और चंद्रोदय तक चलती है। ऐसा माना जाता है कि चतुर्थी के चंद्रमा के सीधे दर्शन से कलंक लगता है, इसलिए महिलाएं छलनी से चांद देखती हैं।

करवा चौथ पूजा सामाग्री

करवा माता और गणेश जी की तस्वीर, करवा माता के लिए चुनरी, गणेश जी और शंकर जी के लिए वस्त्र, मिट्टी का करवा, एक ढक्कन, थाली, चांद देखने के लिए एक छलनी, लकड़ी की एक छोटी चौकी, सोलह श्रृंगार की समाग्री, कलश, दीपक, रुई बत्ती, कपूर, अगरबत्ती, गेहूं, घर में बने पकवान, अक्षत्, हल्दी, चंदन, फूल, पान का पत्ता, कच्चा दूध चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए, दही, शक्कर, शहद, गाय का घी, रोली, कुमकुम, रक्षासूत्र, मिठाई, एक लोटा या गिलास।

पटना में कब दिखाई देगा चांद?

पटना में पूजा का समय शाम 5:58 से 7:30 बजे तक है। व्रत सुबह 5:51 से शाम 7:29 बजे तक है। चंद्रोदय शाम 7:29 बजे होगा। अगर चंद्रमा बादलों के कारण दिखाई न दे तो महिलाएं स्थानीय समय अनुसार चंद्रमा के उदय के समय का ध्यान रखकर अपना व्रत खोल सकती हैं।