नवरात्रि साल में दो बार मनाई जाती हैं। एक चैत्र महीने में और दूसरी आश्विन महीने में। आश्विन महीने वाले नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि भी कहते हैं। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस साल शारदीय नवरात्रि 3 अक्तूबर ( गुरुवार ) से शुरू हो रहे हैं और 13 अक्तूबर ( शनिवार ) को समाप्त होंगे। देवीपुराण के अनुसार, नवरात्र की शुरुआत गुरुवार से होने पर देवी पालकी में आती हैं, जो शुभ नहीं माना जाता। शनिवार को नवरात्र समाप्त होने पर मां दुर्गा पैदल जाती हैं, जो भी अशुभ है।

मां दुर्गा का पालकी में आना और चरणायुध जाना दोनों ही अशुभ माने जाते हैं। इससे दुनिया पर बुरा असर पड़ सकता है। अगर आप नवरात्रि का पूरा फल पाना चाहते हैं तो कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। दरअसल, देवीपुराण में एक श्लोक का उल्लेख है जो बताता है कि नवरात्रि की शुरुआत और अंत किस दिन होने पर क्या परिणाम होते हैं।

श्लोक:

शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे।

गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥

गजेश जलदा देवी क्षत्रभंग तुरंगमे।

नौकायां कार्यसिद्धिस्यात् दोलायों मरणधु्रवम्॥

इस श्लोक के अनुसार, शुक्रवार या गुरुवार को नवरात्रि शुरू होने पर मां पालकी में आती हैं जो अशुभ है। इससे दुनिया में महामारी या प्राकृतिक आपदा आ सकती है। मां का चरणायुध जाना भी दुख और अशांति का कारण बन सकता है।

ऐसे में नवरात्रि के नौ दिनों तक अखंड ज्योत जलाने वालों को घर खाली नहीं छोड़ना चाहिए। इस दौरान लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा से दूर रहना चाहिए। विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्रि व्रत करने वाले को दिन में नहीं सोना चाहिए। मां का ध्यान करना चाहिए और बुरे विचार मन में नहीं लाने चाहिए। इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन भी जरूरी है।