नई दिल्ली: अभी दो दिन पहले अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल सस्ता होने की खबर आई थी। क्रूड ऑयल की कीमतों में कमी आते ही भारत लोग उम्मीद लगा बैठते हैं कि अब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती होगी। अभी कुछ राज्यों में चुनाव भी है। अब ईरान और इजरायल के बीच युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार से बुरी खबर आ रही है। एक बार से फिर डीजल और पेट्रोल की कीमतों में आग लग सकती है। बताया जा रहा है कि क्रूड ऑयल की कीमतों में पांच फीसदी की उछाल आ गई है।

ईरान और इजरायल में बढ़ते तनाव के बीच अब राहत की उम्मीद कम है। क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल के बाद एक बार फिर से कीमत में 75 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। अगर इसी तरह से क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ती रही तो लोगों को राहत के बीच झटका लग सकता है। क्योंकि ईरान और इजरायल के बीच अब तनाव कम होने की संभावना कम है। ऐसे में क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ेगी ही।

पांच फीसदी का उछाल देखा गया

दरअसल, बीते दिनों क्रूड ऑयल की कीमत में 2.7 फीसदी की गिरावट देखने को मिला था। इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के कारण टेक्सास इंटटमीडिएट क्रूड की कीमतों में 5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं, ब्रेंड क्रूड भी 75 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है। रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल देखने को मिली थी।

क्यों हुआ था सस्ता

यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने बॉलिसी रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी। इसके बाद क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट देखने को मिली थी। ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 70 रुपए प्रति डॉलर के पास पहुंच गया था। वहीं, डब्ल्यूटीआई क्रूड की कीमत भी 69.27 पर पहुंच गया था। युद्ध छिड़ने की आशंका के बीच अब कीमतों में गिरावट की संभावना कम है।

आपको बता दें कि क्रूड ऑयल की कीमतों पर ही पेट्रोल डीजल का भाव निर्भर करता है। अगर अतरराष्ट्रीय बाता में इसकी कीमत बढ़ती है। भारत में भी पेट्रोल डीजल के भाव बढ़ जाते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में अगर क्रूड ऑयल की कीमत एक डॉलर प्रति बैरल बढ़ता है तो भारत में पेट्रोल डीजल की कीमत 50-60 पैसे बढ़ने की संभावना रहती है। वहीं, इसी अनुपात में कीमत घटती भी है।

अभी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 94.72 रुपए है और डीजल 87.62 रुपए प्रति लीटर है। अलग-अलग शहरों में रेट बदल जाते हैं।

गौरतलब है कि भारत में हर करीब 37 लाख बैरल क्रूड की खपत है। अपनी जरूरतों के लिए भारत करीब 80 फीसदी क्रूड ऑयल का आयात करता है। तेल कंपनियां क्रूड ऑयल, फ्रेट चार्ड, रिफाइनरी कॉस्ट के आधार पर यह तय करती हैं कि पेट्रोल और डीजल कितना सस्ता और कितना महंगा होगा। इसके साथ ही ग्राहकों तक पहुंचने में कई चार्ज और जुड़ जाते हैं।