RBI Cuts Interest Rate: महंगे कर्ज से भारत के लोग परेशान हैं। होम लोन से लेकर कार लोन तक पर ब्याज दर 8 से 10 फीसदी तक है। ऐसे में लोग कर्ज के बोझ तले दबे जा रहे हैं। आरबीआई ने बीते कुछ महीनों से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। ऐसे में बैंकों ने भी ब्याज दर में कटौती नहीं की है। अमेरिका में जहां ब्याज दर 4 से 5 फीसदी है तो भारत में बैंक 8-10 फीसदी वसूल रहे हैं। ऐसे में मोदी सरकार के दो मंत्रियों ने आरबीआई ने पर प्रेशर बनाया है कि ब्याज दर कम करें।

यह प्रेशर ऐसे वक्त में क्रिएट किया गया है, जब अगले महीने आरबीआई की मॉनेटररी पॉलिसी कमेटी की बैठक है। इस बैठक से पहले ब्याज दरों में कमी का दबाव बढ़ गया है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की उपस्थिति में ब्याज दरें घटाने का सुझाव दिया था। अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों को ब्याज को लेकर बड़ा मैसेज दिया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत के विकास को गति देने के लिए कर्ज की ब्याज दरें कम हों। वहीं, पीयूष गोयल की बात पर आरबीआई गवर्नर ने कहा था कि वह इसका सटीक उत्तर मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में देंगे। इस बीच जब देश के वित्त मंत्री ने इस पार बात की है तो आरबीआई पर एक प्रेशर क्रिएट हो गयाहै। वित्त मंत्री ने कहा है कि देश के विकास और उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों का सस्ता होना जरूरी है। ऐसे में अटकलें हैं कि आरबीआई ब्याज दरों को लेकर विचार करेगी। इसके बाद रेट ऑफ इंटरेस्ट में कटौती हो सकती है।

महंगे कर्ज की वजह से कई उद्योग धंधे मंद हैं। साथ ही नए प्रोजेक्ट्स भी नहीं आ रहे हैं। रियल एस्टेस पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। प्रोजेक्ट्स के खरीदार नहीं मिल रहे हैं। विकसित देश जापान में करीब 0 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज मिल रहा है। अमेरिका में 4-5 फीसदी है।

इसके साथ ही जिन देशों में ब्याज दर कम हैं, वह विकसित देश हैं। भारत अभी विकासशील देश की श्रेणी में आता है। उन देशों की तरह ब्याज दरें तो नहीं हो सकती हैं लेकिन अभी जो दरें हैं, उसमें कटौती कर इसे रफ्तार जरूर दिया जा सकता है। ब्याज दरें घटेंगी या बढ़ेंगी, यह रेपो रेट से तय होगा। आरबीआई अपनी अगली मीटिंग में इसे लेकर फैसला कर सकती है।