मुकेश अंबानी और गौतम अडानी को बड़ा झटका, दोनों की संपत्ति 100 बिलियन डॉलर से नीचे पहुंची
मुकेश अंबानी और गौतम अडानी को बड़ा झटका लगा है। दोनों नेटवर्थ बीते कुछ महीनों में 100 बिलियन से नीचे पहुंच गई है। इसके साथ ही दोनों सेंटीबिलियनेयर लिस्ट से बाहर हो गए हैं। इसमें 100 बिलियन से ऊपर वाले लोग रहते हैं।
Mukesh Ambani And Gautam Adani Net Worth Drop: भारत को दो दिग्गज उद्योगपतियों को हाल ही में बड़ा झटका लगा है। मुकेश अंबानी और गौतम अडानी दोनों ने हाल के महीनों में अपने नेटवर्थ को 100 बिलियन डॉलर के निशान से नीचे गिरते देखा है, जो उनके वित्तीय अनमानों में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन मुकेश अंबानी और अडानी समूह के संस्थापक गौतम अडानी विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यह उनके नेटवर्थ और उनके संबंधित समूहों के भाग्य को नया आकार दे रहे हैं।
ब्लूमबर्ग के अनुसार अंबानी और अडानी की संपत्ति में गिरावट उनके मुख्य व्यवसायों में व्यापक वित्तीय संघर्षों के बीच आई है। फिर भी, इन असफलताओं के बावजूद, भारत के शीर्ष 20 अरबपतियों ने इस वर्ष सामूहिक रूप से अपनी संपत्ति में 67.3 बिलियन जोड़ा है, जो देश के धनी अभिजात वर्ग के लचीलेपन को प्रदर्शित करता है। उद्योगपति शिव नादर और स्टील मैग्नेट सावित्री जिंदल ने अपने नेटवर्थ में 10.8 बिलियन और 10.2 बिलयिन डॉलर जोड़कर लाभ का नेतृत्व किया है।
ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के अनुसार, मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति, जो जुलाई में उनके बेटे अनंत अंबानी की भव्य शादी के जश्न के दौरान 12.08 बिलियन डॉलर थी, 13 दिसंबर तक घटकर 96.7 डॉलर रह गई है। यह गिरावट रिलायंस के मुख्य व्यवसायों, विशेष रूप से उर्जा और खुदरा क्षेत्रों में चुनौतियों को दर्शातीहै, जिन्होंने हाल के महीनों में कम प्रदर्शन किया है।
निवेशकों ने कंपनी के बढ़ते कर्ज स्तरों पर चिंता जताई है, जिससे रिलायंस के शेयर प्रदर्शन पर दबाव बढ़ गया है। तेल से रसायन विभाग में घटती मांग, चीनी निर्यात से प्रसिस्पर्धा और खुदरा परिचालन में उपभोक्ता खर्च में कमी ने मंदी में योगदान दिया है। अंबानी अब विकास को गति देने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म नवीकरणीय उर्जा और खुदरा ब्रांडों की ओर रुख कर रहे हैं। हालांकि इन क्षेत्रों में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
उदाहरण के लिए, डिजिटल प्रतिस्पर्धी भारत के शहरी केंद्रों में महत्वपूर्ण बाजार हिस्सेदारी हासिल कर रहे हैं, खासकर किराने का सामान और अन्य घरेलू सामान शामिल हैं।
वहीं, रिलायंस के तकनीकी उपक्रम, जिसमें वॉल्ट डिजनी कंपनी और एनवीडिया कॉर्प के साथ इसकी साझेदारी शामिल है, कंपनी की महत्वकांक्षाओं का संकेत देते हैं। डिजनी के साथ सहयोग में 8.5 बिलियन का मीडिया उद्यम शामिल है, जिसका उद्देश्य भारत के स्ट्रीमिंग क्षेत्र पर हावी होना है, जबकि एवीडिया के सहयोग से भारत में एआई कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। असफलताओं के बावजूद विश्लेषक रिलायंस की क्षमता के बारे में आशावादी बने हुए हैं। मुंबई स्थित वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड की इक्विटी मार्केट रणनीतिकार क्रांति बाथिनी ने ब्लूमबर्ग को बताया कि रिलायंस एक मजबूत संपत्ति निर्माता बनी हुई है और हर बिजनेस का एक बड़ा मूल्य है। लेकिन तेल बिजनेस पर दबाव के कारण स्टॉक का प्रदर्शन कम हुआ है।
वहीं, गौतम अडानी जो कभी दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति थे को अब और भी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। बीबीआई के अनुसार उनकी कुल संपत्ति जून में 122.3 बिलियन डॉलर से गिरकर दिसंबर में 82.1 बिलियन डॉलर रह गई है। यह भारी गिरावट कई आरोपों और जांचों के बाद आई है, जिसे अडानी समूह में निवेशकों के विश्वास को हिला दिया है।
अंबानी और अडानी दोनों की संपत्ति में गिरावट ने उन्हें विशेष सेंटीबिलियनेयर क्लब से बाहर कर दिया है, जिसमें 100 बिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति वाले व्यक्ति शामिल हैं। इसके बावजूद, उनकी वित्तीय स्थिति भारत की अर्थव्यवस्था पर उनके प्रभाव का प्रमाण बनी हुई है।