Tata Trusts: टाटा संस को टाटा ट्रस्ट्स कैसे कंट्रोल करता है?

Tata Trusts Power: टाटा ट्रस्ट्स एक बार फिर से चर्चा में है। यह ट्रस्ट टाटा संस समेत कई कंपनियों को कंट्रोल करती है।

मुंबई: टाटा ट्रस्ट्स, टाटा ग्रुप की एक परोपकारी शाखा है। इसके पास टाटा संस में भी 66 फीसदी हिस्सेदारी है, यह एक निजी होल्डिंग कंपनी है। टाटा ट्रस्ट्स के पास ग्रुप की सारी कंपनियों में हिस्सेदारी है। इसकी चर्चा एक बार फिर से इसलिए होने लगी है कि इसके अध्यक्ष रतन टाटा का निधन हो गया है। टाटा समूह ने 11 अक्टूबर को नोएल टाटा को अपना अगला अध्यक्ष नियुक्त किया है।

टाटा ट्रस्ट की वेबसाइट के अनुसार यह शिक्षा, कला, संस्कृति, स्वास्थ्य और आजीविका सृजन में परोपकारी हित हैं। टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना 1917 में हुई थी। यह टाटा ग्रुप के अंतर्गत आने वाले सभी ब्रांडों के प्रमोटर और होल्डिंग कंपनी के रूप में कार्य करती है। नटराजन चंद्रशेखरन जनवरी 2017 से इसके अध्यक्ष हैं।

86 साल की उम्र में टाटा ट्रस्ट्स के अध्यक्ष रतन टाटा का 9 अक्टूबर को मुंबई ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया था। उन्होंने शादी नहीं की थी और उनके कोई बच्चे नहीं थे। रतन टाटा, नवल टाटा और उनकी पहली पत्नी सूनी टाटा के बेटे थे। 1948 में जब वह 10 साल के थे, तब उनके माता-पिता अलग हो गए थे। वहीं, नोएल टाटा, नवल टाटा और उनकी दूसरी पत्नी सिमोन टाटा के बेटे थे, जो उनके सौतेले भाई थे।

गौरतलब है कि टाटा समूह में सबसे ताकतवर टाटा ट्रस्ट्स ही है। टाटा ट्रस्ट्स की सारी कंपनियों में 66 फीसदी हिस्सेदारी है। ट्रस्ट्स की हिस्सेदारी के हिसाब से जो कमाई होती है, उसे परोपकार के काम में खर्च किया जाता है। वहीं, टाटा ग्रुप के अपने नियम के मुताबिक, टाटा ट्रस्ट्स के अध्यक्ष अब टाटा संस के अध्यक्ष नहीं हो सकते हैं। रतन टाटा आखिरी ऐसे व्यक्ति रहे हैं तो टाटा ट्रस्ट्स और टाटा संस के चेयरमैन रहे हैं।

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