बिहार शिक्षा विभाग ने एक बार फिर से विवादों को जन्म देने वाला आदेश जारी किया है। इस आदेश में सरकारी स्कूलों में बिना अनुमति प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। इससे सोशल मीडिया और पत्रकारों में खलबली मच गई है। शिक्षा विभाग के इस आदेश के मुताबिक, अब कोई भी रिपोर्टर या व्यक्ति बिना इजाजत के सरकारी स्कूलों में प्रवेश नहीं कर सकेगा। स्कूलों में सिर्फ प्रधान शिक्षक ही मीडिया से बात कर सकेंगे और किसी भी शिक्षक को बयान देने की अनुमति नहीं होगी।

विभाग का कहना है कि कई बार बिना अनुमति के लोग स्कूलों में घुस जाते हैं और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल देते हैं। इससे स्कूलों की छवि खराब होती है और बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है। हालांकि, पत्रकारों का कहना है कि यह आदेश प्रेस की आजादी पर हमला है। उनका कहना है कि अगर स्कूलों में सब कुछ सही चल रहा है तो फिर डर किस बात का?

पहली बार नहीं है जब शिक्षा विभाग ने ऐसा कोई आदेश जारी किया है। कुछ महीने पहले भी डीईओ प्रमोद कुमार साहू ने ऐसा ही एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि कोई भी मीडियाकर्मी बिना उनकी अनुमति के स्कूल में फोटो या वीडियो नहीं ले सकता। इस आदेश के बाद सोशल मीडिया पर खूब हंगामा हुआ था। लोगों ने इसे प्रेस की आजादी पर हमला बताया था। बाद में डीएम के दखल के बाद डीईओ को अपना आदेश वापस लेना पड़ा था।

लेकिन एक बार फिर से शिक्षा विभाग ने ऐसा ही आदेश जारी करके विवादों को हवा दे दी है। देखना होगा कि इस बार मामला कहां तक जाता है। शिक्षा विभाग के निदेशक सुबोध कुमार चौधरी के स्तर से जारी किए गए इस आदेश में कहा गया है कि विद्यालय की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विद्यालयों में केवल प्रधान शिक्षक ही मीडिया को कोई जानकारी देने के लिए अधिकृत होंगे। कोई शिक्षक प्रेस को ब्रीफ नहीं करेंगे।