बिहार के इन शिक्षकों को नहीं मिलेगा वेतन, दिवाली से पहले शिक्षा विभाग ने हजारों टीचर को दिया 'सैलरी वाला टेंशन'
Bihar Teacher Salary: बिहार शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों और अंगीभूत महाविद्यालयों में वित्तीय अनुशासन लाने और पे-रौल मैनेजमेंट पोर्टल पर डाटा अपलोड ना होने पर वेतन बंद करने की चेतावनी दी है।
बिहार के शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों और उनके अंगीभूत कॉलेजों में वित्तीय अनुशासन लाने के लिए कड़े कदम उठाने का फैसला किया है। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि अक्टूबर से उन शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जाएगा जिनका डेटा विभाग के पे-रोल मैनेजमेंट पोर्टल पर अपलोड नहीं होगा।
शुक्रवार को शिक्षा विभाग ने राज्य के 15 विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों, वित्तीय सलाहकारों और वित्तीय अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई थी। इस बैठक में वित्तीय नियमों और सरकारी निर्देशों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया। बैठक में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने विश्वविद्यालयों को अकादमिक कैलेंडर का पूरी तरह से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही, नए परीक्षा कैलेंडर का प्रकाशन जल्द से जल्द करने का आदेश दिया गया, जिसका प्रारूप सभी विश्वविद्यालयों को पहले ही मिल चुका है।
बैठक में उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) के लंबित मामलों पर भी गंभीरता से चर्चा हुई। शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि अगर किसी मद में दी गई राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया जाता है, तो भविष्य में उस मद में विश्वविद्यालयों को मिलने वाली राशि काट ली जाएगी। शिक्षा विभाग ने दोबारा स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय बिना इस्तेमाल के पड़े सरकारी धन को तुरंत बिहार सरकार को वापस करें। साथ ही, शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन का पैसा रोककर नहीं रखा जाना चाहिए।
बैठक में यह भी तय हुआ कि अगले साल से शिक्षा विभाग के 'समर्थ' पोर्टल पर अपलोड किए गए बजट प्रस्तावों पर ही विचार किया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक विश्वविद्यालय को एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा गया है ताकि उन्हें इस पोर्टल पर काम करने का प्रशिक्षण दिया जा सके। एक अन्य फैसले में यह भी तय किया गया कि वर्ष 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों को उनका पीआरएएन (स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या) खुलने के बाद ही वेतन दिया जाएगा। इसके अलावे प्रदेश के 227 संबद्ध डिग्री कॉलेजों को अपनी आय के आंतरिक स्रोतों की जानकारी शिक्षा विभाग को देनी होगी।
शिक्षा विभाग ने इन कॉलेजों से यह भी पूछा है कि क्या आंतरिक स्रोतों से प्राप्त राशि का 70 प्रतिशत हिस्सा शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन पर खर्च किया जा रहा है। कुलसचिवों, वित्तीय सलाहकारों और वित्तीय अधिकारियों की मासिक बैठक के एजेंडे में इस मुद्दे को शामिल किया गया है। अनुदान राशि परीक्षा परिणामों पर आधारित होगी और शिक्षा विभाग ने इसका उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने के साथ-साथ शिक्षकों और कर्मचारियों को भुगतान की गई राशि को भी एजेंडे में शामिल किया है।
शिक्षा विभाग ने सभी संबद्ध डिग्री कॉलेजों में प्रबंध समिति का गठन अनिवार्य कर दिया है। इन समितियों में शामिल सदस्यों की सूची और उनके शपथ पत्र शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराना अनिवार्य है। शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों से उन संबद्ध कॉलेजों की सूची भी मांगी है जहां अभी तक प्रबंध समितियों का गठन नहीं किया गया है। शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से यह भी पूछा है कि संबंधित कॉलेजों में प्रबंध समितियां गठित नहीं करने के क्या कारण हैं।