Bihar School News: पटना शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों के बीच बेहतर संबंध बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। इस फैसले के तहत, अब शिक्षक बच्चों को उनके उपनाम या रोल नंबर से नहीं बुलाएंगे, बल्कि उनके नाम से संबोधित करेंगे। पटना के जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार का मानना है कि इससे बच्चों को स्कूल में अपनेपन का एहसास होगा और शिक्षकों के साथ उनका जुड़ाव मजबूत होगा।

अक्सर देखा जाता है कि शिक्षक कक्षा में बच्चों को उनके रोल नंबर या उपनाम से बुलाते हैं। इससे बच्चों और शिक्षकों के बीच एक औपचारिक दूरी बनी रहती है। जबकि बच्चों को नाम से पुकारने पर उन्हें ऐसा महसूस होता है कि शिक्षक उन्हें अपने परिवार के सदस्य की तरह मानते हैं। यह छोटा सा बदलाव शिक्षक और छात्र के बीच एक मजबूत और सकारात्मक संबंध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

SCERT द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य के लगभग 14 हजार मामलों में शिक्षक बच्चों को उनके रोल नंबर या उपनाम से बुलाते हैं। इस स्थिति को बदलने के लिए शिक्षा विभाग ने यह पहल की है।

इसके अलावा, शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को बच्चों की उपस्थिति दर्ज करने के संबंध में भी नए निर्देश जारी किए हैं। नए नियमों के मुताबिक, अब सिर्फ उन्हीं बच्चों की हाजिरी लगाई जाएगी जो समय पर कक्षा में मौजूद होंगे। देर से आने वाले छात्रों को उपस्थिति दर्ज नहीं कराई जाएगी। इसके लिए शिक्षक अपनी सुविधानुसार कक्षा मॉनिटर की मदद ले सकते हैं।

शिक्षा विभाग ने शिक्षकों से यह भी अपेक्षा की है कि वे कक्षा में पूरी तैयारी के साथ आएं। उन्हें अपने साथ विषय से संबंधित किताबें, कॉपी और नवाचार के पन्ने रखने होंगे। साथ ही, ब्लैकबोर्ड पर लिखी जाने वाली सामग्री स्पष्ट और सभी बच्चों को आसानी से दिखाई देने वाली होनी चाहिए।

जिला शिक्षा पदाधिकारी ने सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों के साथ एक ऑनलाइन बैठक में यह निर्देश जारी किए। उन्होंने जोर देकर कहा कि शिक्षक और बच्चों के बीच बेहतर संबंध स्थापित करना बेहद जरूरी है। बच्चों को शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए, उनसे डरना नहीं चाहिए और खुद को कक्षा में अलग-थलग नहीं करना चाहिए। इसके लिए शिक्षकों को आकर्षक और रोचक तरीके से पढ़ाने के लिए प्रेरित किया गया है।

शिक्षा विभाग की यह पहल सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के माहौल को और बेहतर बनाने में मददगार साबित हो सकती है। जब शिक्षक और छात्रों के बीच एक स्वस्थ और सकारात्मक रिश्ता होगा, तो बच्चे बेहतर तरीके से सीख पाएंगे और अपनी पूरी क्षमता को निखार पाएंगे।