बिहार में 32000 से ज्यादा नियोजित शिक्षकों के नौकरी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इन शिक्षकों पर आरोप है कि इन्होंने नौकरी पाने के लिए फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल किया है। शिक्षा विभाग ने मामले की जांच के लिए निगरानी विभाग से शिकायत की है। बताया जा रहा है कि कई शिक्षक दूसरे राज्यों से मिले प्रमाण पत्रों के आधार पर बिहार में नौकरी कर रहे हैं।

बिहार में 3 लाख से अधिक नियोजित शिक्षक

शिक्षा विभाग अब इन सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच करेगा। 3.60 लाख नियोजित शिक्षकों वाले बिहार में इससे पहले भी 2600 से अधिक शिक्षक फर्जी पाए जा चुके हैं, जिनमें से 1350 के खिलाफ FIR भी दर्ज हुई है। यह मामला अभी कोर्ट में चल रहा है। शिक्षा विभाग ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और गुजरात के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर इन राज्यों से मिले प्रमाण पत्रों की जांच करने को कहा है।

जांच करने में हो रही परेशानी

बिहार में अधिकांश शिक्षकों के प्रमाण पत्र 18 से 30 साल पुराने हैं, जिससे जांच करने में दिक्कतें आ रही हैं। कई रिकॉर्ड मैन्युअल रूप से रखे गए हैं और कई विश्वविद्यालयों में तो रिकॉर्ड खराब हो चुके हैं। इस वजह से जांच में देरी हो रही है। जिन शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और वेतन भी वसूला जाएगा।

60 फीसदी वाले में भी फंसे हैं टीचर

एक और मामले में 1400 शिक्षकों के CTET परीक्षा में 60% से कम अंक पाए गए हैं। नियमों के अनुसार, बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों को CTET में 60% से अधिक अंक प्राप्त करना अनिवार्य है। विभाग के अनुसार, राज्य में अब तक 1.87 लाख शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच हो चुकी है। 37 हजार शिक्षकों ने अभी तक अपने प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं कराया है, जिससे संदेह और बढ़ गया है। विभाग का कहना है कि सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच की जाएगी।