नई दिल्ली: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों को लेकर भारत में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि पूरी दुनिया में मानवाधिकारों की बात करने वाले अमेरिका ने अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस बयान नहीं दिया है। अमेरिका के धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) के पूर्व आयुक्त जॉनी मूरे ने भी इस पर न केवल चिंता जताई है, बल्कि अपनी ही सरकार की निंदा की है। उन्होंने उम्मीद जताई कि डोनाल्ड ट्रंप की सरकार आने के बाद इस स्थिति में सुधार होगा।

बाइडन सरकार की चुप्पी पर मूरे की नाराजगी

जॉनी मूरे ने बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मौजूदा बाइडन प्रशासन इस गंभीर मुद्दे को पूरी तरह अनदेखा कर रहा है। उन्होंने कहा, "यह चौंकाने वाला है कि अमेरिका, जो धार्मिक स्वतंत्रता का सबसे बड़ा समर्थक होने का दावा करता है, बांग्लादेश के हालात पर चुप है।" मूरे ने विश्वास जताया कि डोनाल्ड ट्रंप की सरकार के सत्ता में लौटने के बाद, यह स्थिति बदलेगी। उन्होंने ट्रंप प्रशासन को भारत का सच्चा सहयोगी बताते हुए कहा कि अमेरिका और भारत की संयुक्त ताकत किसी भी वैश्विक समस्या का समाधान कर सकती है।

हिंदुओं पर अत्याचार पर दुनिया की चुप्पी

मूरे ने पश्चिमी देशों और मानवाधिकार संगठनों की चुप्पी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "दुनिया भर के मानवाधिकार संगठन अन्य मुद्दों पर आवाज उठाते हैं, लेकिन जब हिंदू समुदाय पर अत्याचार की बात आती है, तो यह मामला अनदेखा कर दिया जाता है। यह स्थिति बदलनी चाहिए। हम इस मुद्दे को वैश्विक स्तर पर उठाने का प्रयास करेंगे।"

बांग्लादेश की यूनुस सरकार पर निशाना

मूरे ने बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार की भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि यूनुस सरकार न केवल लोकतंत्र की रक्षा में असफल रही है, बल्कि उसने पूरे देश और हिंदू अल्पसंख्यकों के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति बेहद खराब है और हिंदू समुदाय को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर गुस्सा

मूरे ने बांग्लादेश पुलिस द्वारा चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर गहरी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने इसे कानून के दुरुपयोग का उदाहरण बताया और कहा कि बांग्लादेश की पुलिस किसी भी व्यक्ति को निशाना बना सकती है। मूरे ने आश्वासन दिया कि वैश्विक ईसाई समुदाय हिंदू समुदाय के साथ खड़ा है और इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाएगा।