नई दिल्ली: बांग्लादेश में एक बार फिर अशांति देखने को मिल रही है। बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से बेदखली और देश छोड़ने के बारे में हालिया दावे ने उनके इस्तीफे से जुड़े रहस्य पर बहस को फिर से जन्म दिया है। कई लोग इस दावे पर सवाल उठा रहे हैं, जिसमें कहा गया कि 5 अगस्त को भारत आने से पहले हसीना का इस्तीफा देने का कोई सबूत नहीं है।

शहाबुद्दीन के इस बयान के बाद एक बार फिर ढाका में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग की, उन पर "झूठ बोलने" का आरोप लगाते हुए और उनके बयान को उनके पद की शपथ का "उल्लंघन" बताया। उनके बयान के बाद सेना द्वारा हसीना को सत्ता से हटाने के संदेह और आरोप भी सामने आए हैं।

बांग्लादेश में नए विरोध प्रदर्शनों का कारण क्या है

सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन, जिसे बंगभवन कहा जाता है, पर एक दिन पहले धावा बोलने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सेना ने बैरिकेड्स की मदद से रोक दिया। यह विरोध तब शुरू हुआ जब शहाबुद्दीन ने बांग्ला दैनिक को दिए एक साक्षात्कार में दावा किया कि उन्होंने कई बार हसीना का इस्तीफा पत्र लेने की कोशिश की, लेकिन उन्हें शायद इस्तीफा देने का समय नहीं मिला क्योंकि राजधानी में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे और हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। इसके विपरीत, उन्होंने 5 अगस्त की रात को राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था कि उन्होंने हसीना का इस्तीफा प्राप्त कर लिया है।

नए आरोप क्या हैं

बांग्लादेशी लेखिका और कार्यकर्ता तसलीमा नसरीन ने ट्वीट किया, "बांग्लादेश में हर कोई झूठ बोल रहा है। सेना प्रमुख ने कहा कि हसीना ने इस्तीफा दिया। राष्ट्रपति ने कहा कि हसीना ने इस्तीफा दिया। लेकिन किसी ने इस्तीफा पत्र नहीं देखा। तसलीमा नसरीन ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर भी कई आरोप लगाए हैं।