नई दिल्ली: ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने करीब पांच साल बाद शुक्रवार की नमाज पढ़ाई। इस बार खामेनेई का संदेश सिर्फ इजरायल के खिलाफ नहीं, बल्कि इससे जुड़े प्रतीकों से भी भरा हुआ था। खामेनेई ने 1979 की इस्लामी क्रांति से जुड़ी ऐतिहासिक इमाम खोमैनी मस्जिद को चुना और एक रूसी-निर्मित ड्रैगुनोव राइफल के साथ दिखे। ये राइफल उनके भाषण के दौरान उनके बगल में थी, जो ईरान की ताकत और दुश्मनों को चेतावनी का संकेत माना गया।

85 साल के ख़ामेनेई ने इजरायल की आलोचना करते हुए कहा हमें दुश्मन के खिलाफ डटकर खड़ा होना चाहिए और अपने विश्वास को मजबूत करना चाहिए। उन्होंने इजरायल को भी चेताया कि यह ज़्यादा दिनों तक नहीं टिकेगा। ख़ामेनेई ने अरबी और फारसी दोनों भाषाओं में बात की और इस मौके को ईरान की सेना और देश के लोगों का हौसला बढ़ाया।

ईरान और इजरायल के बीच तनाव पहले से ही बढ़ रहा है, जब तेहरान में हमास के इस्माइल हनिया और ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर अब्बास निलफोरुशान की हत्या हो गई। हिज़बुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद हालात और बिगड़ गए, जिसके बाद ईरान ने तेल अवीव पर 200 मिसाइलें दागीं और दोनों देशों के बीच युद्ध जैसी स्थिति बन गई।

ख़ामेनेई ने इस बड़े मिसाइल हमले का बचाव करते हुए कहा कि हमारी सेना की यह कार्रवाई ऐसी सत्ता के अपराधों के लिए न्यूनतम सज़ा थी। उन्होंने इसे पूरी तरह से कानूनी और जायज़ ठहराया। ख़ामेनेई ने इस कार्यक्रम में जुटी भीड़ के ज़रिए ये दिखाने की कोशिश की कि आम जनता भी इजरायल के खिलाफ सरकार के फैसलों का समर्थन कर रही है।

इससे पहले, जनवरी 2020 में, खामेनेई ने उस वक्त शुक्रवार की नमाज़ की अगुवाई की थी, जब अमेरिका ने ड्रोन हमले में ईरान के कमांडर कासिम सुलेमानी को मार गिराया था।