Who is Inderjeet Gosal: कौन है इंद्रजीत गोसल? जिसने कनाडा में कराया हिंदू मंदिर पर हमला

Khalistani Inderjeet Gosal: कनाडा में हिंदू मंदिर पर हमला के पीछे इंद्रजीत गोसल है। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर छोड़ दिया है। आइए आपको बताते हैं कि इंद्रजीत गोसल कौन है।

Who Inderjeet Gosal: कनाडा पुलिस ने पिछे सप्ताह ग्रेटर टोरंट एरिया में एक हिंदू मंदिर पर हुए हिंसक हमले के सिलसिले में 35 वर्षीय इंद्रजीत गोसल को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के बाद पील क्षेत्रीय पुलिस ने गोसल को कुछ शर्तों के साथ रिहा कर दिया। उसे बाद में ब्रैम्पटन में ओन्टररियो कोर्ट के समक्ष पेश होने के निर्देश दिए हैं।

यह घटना जो 3 नवंबर को ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर में हुई में खालिस्तानी चरमपंथियों ने हिंदू कनाडाई भक्तों पर हिंसक हमला किया। पुलिस के एक बयान में कहा गया है कि जब झंडे और बैनरों के साथ प्रदर्शन तेजी से उन पर हमला हुआ। इसमें उनको चोटें आई थीं तो पीआरपी ने कार्रवाई की।

इस पूरी घटना के केंद्र में सिख फॉर जस्टिस के समन्वयक इंद्रजीत गोसल हैं, जो भारत में प्रतिबंधित समूह है। अधिकारियों का कहना है कि गोसल कनाडा में तथाकथित खालिस्तान जनमत संग्रह के मुख्य आयोजक हैं और पिछले हफ्ते ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर पर हमले के सिलसिले में उन पर आरोप लगाए गए हैं।

कौन है इंद्रजीत गोसल

जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया में मारे जाने के बाद सिख फॉर जस्टिस के मुख्य कनाडाई आयोजक के रूप में इंद्रजीत गोसल ने हरदीप सिंह निज्जर की जगह ली। उन्हें एसजेएफ के जनरल काउंसल गुरपतवंत सिंह पन्नू का लेफ्टिनेंट माना जाता है, उसे भारत ने आतंकवादी घोषित किया है।

कनाडाई पुलिस ने कहा था कि गोसल देश के उन 13 नागरिकों में शामिल थे, जो खालिस्तान समर्थक तत्वों के खिलाफ आपराधिक हिंसा के निशाने पर थे। पन्नू ने कहा था कि रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस के साथ काम कर रही ओंटारियो प्रांत की पुलिस ने गोसल को चेतावनी देने की ड्यूटी नोटिस जारी किया था।

इस बीच, एसएफजे ने दावा किया कि गोसल को ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर के खिलाफ खालिस्तान समर्थक विरोध प्रदर्शन के दौरान निशाना बनाया गया था, जहां उस समय एक वाणिज्य दूतावास शिविर चल रहा था। इस दौरान टोरंटो में वाणिज्य दूतावास के भारतीय अधिकारी परिसर में मौजूद थे। पिछले महीने, गोसल ने कहा था कि अगर पंजाब में सिखों के लिए एक स्वतंत्र मातृभूमि की स्थापना की बात हो तो उन्हें मरने से डर नहीं लगता था।

फाइनेंशियल टाइम्स से गोसल ने कहा कि मुझे पता है कि मैंने किसके लिए हस्ताक्षर किए हैं, मौत मुझे नहीं डराती। एक स्वतंत्र सिख राज्य खालिस्तान की मां स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी हत्याओं के बाद आंदोलन को और बढ़ावा मिला। गोसल और उनके जैसे अन्य लोगों ने कथित दौर पर इसे नरसंहार कहा, जिसने हजारों सिखों को अपनी मातृभूमि से भागने पर मजबूर कर दिया और उनमें से कई कनाडा चले गए।

गौरतलब है कि नई दिल्ली और ओटावा के बीच चल रहे कूटनीतिक तनाव के अलावा हिंदू मंदिर पर हुए हमले ने देश में तनाव को और बढ़ा दिया है। खुद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो समेत कई राजनीतिक नेताओं ने इस हमले की निंदा की है। सांसद चंद्रा आर्य ने कहा था कि हमारे देश के नेता हिंदुओं की रक्षा करने में विफल रहे हैं।

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