नई दिल्ली: ईरान-इजरायल के बीच लड़ाई तेज होने की आहट से ही अफगानिस्तान परेशान हो गया है। आखिर इस लड़ाई का उस पर क्या असर पड़ेगा जो अफगानिस्तान टेंशन में हैं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच रिश्ते ठीक नहीं है और पाकिस्तान के साथ होने वाला व्यापार काफी घट गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचने का मुख्य रास्ता रहा है। लेकिन 2021 के बाद, जब तालिबान ने काबुल की सत्ता संभाली और इस्लामाबाद में भी कई बार सरकार बदली, दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के कारण व्यापार में भारी गिरावट आई है। लेकिन इस बीच उसे ईरान से काफी मदद मिली।

अफगान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इन्वेस्टमेंट की मानें तो उनकी ओर से पाकिस्तान की सरकार को मनाने की कोशिश हुई लेकिन वह नहीं माने। जिससे उनके साथ व्यापार काफी कम हो गया। वहीं इनका कहना है कि दूसरी ओर हमारे ईरान और मध्य एशिया के साथ व्यापारिक संबंध बेहतर हो रहे हैं। पिछले साल अफगानिस्तान ने ईरान से लगभग 2 बिलियन डॉलर का आयात किया था और ईरान के चाबहार और बंदर अब्बास बंदरगाहों के माध्यम से अपना माल दूसरे देशों में भेजा।

अब यदि ईरान-इजरायल के बीच जंग बढ़ी तो इसका असर कहीं न कहीं अफगानिस्तान पर भी पड़ सकता है। पाकिस्तान के साथ रिश्ते पहले से ही ठीक नहीं है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान के निर्यात और ट्रांजिट ट्रेड में हर दिन गिरावट हो रही है। जब से तालिबान ने सत्ता संभाली है, तब से राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों के कारण अफगानिस्तान पर कई प्रतिबंध लगाए गए हैं।

एक वक्त अफगानिस्तान का पाकिस्तान के साथ लगभग 2 बिलियन डॉलर का वार्षिक व्यापार हुआ करता था, जो इस साल घटकर 500 मिलियन डॉलर तक आ सकता है। व्यापार में गिरावट इसलिए भी ज्यादा दिखी क्योंकि सैकड़ों अफगानी उत्पादों को पाकिस्तानी क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक दिया गया।

200-300 सामानों को अफगान ट्रांजिट ट्रेड की नेगेटिव लिस्ट में डाल दिया गया, जिससे उनके निर्यात पर रोक लग गई। हालांकि इस कमी को ईरान ने काफी हद तक दूर कर दिया था लेकिन यदि ईरान-इजरायल की लड़ाई बढ़ी तो व्यापार के मामले में अफगानिस्तान के सामने दिक्कत खड़ी हो जाएगी।