ठंड के मौसम में बढ़ते वायु प्रदूषण से खांसी की समस्या आम हो गई है। यह समझना मुश्किल है कि आम खांसी है या प्रदूषण की वजह से। आज हम आपको बताएंगे कि आम खांसी और प्रदूषण वाली खांसी में अंतर, उनके लक्षण, कारण और बचाव के तरीके बताएंगे। साथ ही, डॉक्टरों की सलाह और जरूरी जांचों के बारे में भी जानकारी देंगे।

दरअसल, सर्दी-खांसी से लोग परेशान हैं। हवा खराब होने से यह समस्या बढ़ रही है। आम खांसी और प्रदूषण वाली खांसी में अंतर पहचानना मुश्किल है। आम खांसी ज्यादातर चार-पांच दिन में ठीक हो जाती है। यह संक्रमण या एलर्जी से हो सकती है। दवा से आराम मिलता है। पुरानी खांसी आठ हफ्ते से अधिक रहती है। बच्चों में चार हफ्ते से ज्यादा की खांसी पुरानी मानी जाती है। इस पर आम दवा असर नहीं करती। यह कई बार परेशानी का सबब बन सकती है। प्रदूषण, तंबाकू और अस्थमा इसके मुख्य कारण हैं।

कुछ दवाओं से भी सूखी खांसी हो सकती है। दवा बंद करने पर यह ठीक हो जाती है। गंभीर मामलों में, गले या फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है। इसमें खांसी बहुत तकलीफदेह होती है। बलगम में खून भी आ सकता है। संक्रमण से होने वाली खांसी में पीला या हरा बलगम होता है। यह बैक्टीरिया के संक्रमण का संकेत है। यह सिरदर्द, सीने में दर्द और पसलियों में फ्रैक्चर जैसी समस्याएं पैदा कर सकती है।

खांसी होने पर डॉक्टर जांच करते हैं। छाती का एक्स-रे, ब्लड टेस्ट, पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट, इकोकार्डियोग्राफी जैसे टेस्ट से कारण पता चलता है। कारण पता चलने पर इलाज आसान हो जाता है। अगर खांसी ठीक न हो, तो डॉक्टर से सलाह लें। बिना डॉक्टर की सलाह के ली गई दवाएं कुछ समय के लिए आराम दे सकती हैं, लेकिन लंबे समय में नुकसान पहुंचा सकती हैं।

प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क पहनें। घर में एयर प्यूरीफायर लगवाएं। बाहर कम निकलें। खूब पानी पिएं। गर्म पानी में शहद और नींबू मिलाकर पीने से आराम मिलता है। धूल-मिट्टी से बचें। एलर्जी से बचें। तंबाकू से दूर रहें। स्वस्थ आहार लें। फल और सब्जियां खाएं। नियमित व्यायाम करें। पूरी नींद लें। तनाव कम करें। डॉक्टर की सलाह पर दवा लें। खुद इलाज न करें।