नई दिल्ली: पूर्व क्रिकेटर और पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी ने कैंसर को मात दे दी है। नवजोत कौर को स्टेज-4 इनवेसिव कैंसर का पता चला था, जिसके कारण उन्हें "दुर्लभ मेटास्टेसिस" के लिए ब्रेस्ट सर्जरी करवानी पड़ी। एक साल से अधिक समय तक कैंसर से जूझने के बावजूद, उन्होंने इस चुनौती का सामना साहस और दृढ़ संकल्प के साथ किया। उनके पति, नवजोत सिंह सिद्धू ने बताया कि इलाज के दौरान डॉक्टरों ने स्टेज फोर में उनकी रिकवरी की संभावना बेहद कम बताई थी। उन्होंने यह भी साझा किया कि उनके बेटे की शादी के बाद कैंसर फिर से लौट आया। हालांकि, नवजोत कौर ने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा और बीमारी से बहादुरी से लड़ाई लड़ी।

सिद्धू ने शुक्रवार यह भी बताया कि उनकी पत्नी ने अपना अधिकतर इलाज सरकारी अस्पतालों में करवाया, जिसमें पटियाला के सरकारी राजेंद्र मेडिकल कॉलेज भी शामिल है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैंसर को हराने का कारण पैसा नहीं था, बल्कि उनकी अनुशासनपूर्ण जीवनशैली और सख्त दिनचर्या थी। सिद्धू ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में भी कैंसर का प्रभावी इलाज संभव है।

जीवनशैली में बदलाव से मिली जीत

नवजोत कौर की रिकवरी के दौरान उनकी अनुशासित जीवनशैली ने अहम भूमिका निभाई। उनके दैनिक रूटीन में नींबू पानी, कच्ची हल्दी, सेब साइडर सिरका, नीम के पत्ते और तुलसी शामिल थे। उनकी डाइट में कद्दू, अनार, आंवला, चुकंदर और अखरोट जैसे पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल थे। उन्होंने खाना पकाने के लिए नारियल तेल, कोल्ड-प्रेस्ड तेल और बादाम के तेल का उपयोग किया। उनकी सुबह की चाय में दालचीनी, लौंग, गुड़ और इलायची जैसे मसाले होते थे।

डाइट प्लान

सिद्धू ने बताया कि कैंसर के इलाज में सही खानपान का बहुत महत्व है। उन्होंने कहा कि यदि खाने के समय में गैप रखा जाए, शुगर और कार्बोहाइड्रेट को सीमित किया जाए, तो कैंसर सेल्स धीरे-धीरे मरने लगते हैं। उनका नियम था कि शाम 6 बजे तक भोजन समाप्त कर लिया जाए और अगले दिन सुबह 10 बजे नींबू पानी से दिन की शुरुआत की जाए। इसके आधे घंटे बाद 10 से 12 नीम के पत्ते खाना भी उनकी दिनचर्या का हिस्सा था।

उम्मीद और धैर्य का संदेश

नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी पत्नी की कैंसर से उबरने की कहानी साझा कर यह संदेश दिया कि विपरीत परिस्थितियों में धैर्य और उम्मीद ही हमें मजबूती देते हैं। उनकी प्रेरणादायक कहानी ने लोगों के दिलों को छुआ और कैंसर से लड़ रहे मरीजों के लिए आशा की किरण जगाई।