केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने फिर एक बार मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने साफ कर दिया है कि अगर उन्हें लगा कि संविधान और आरक्षण के साथ खिलवाड़ हो रहा है तो वो मंत्री पद छोड़ने में एक मिनट भी नहीं लगाएंगे। चिराग ने अपने चाचा पर भी हमला बोला है और कहा है कि कुछ लोग उन्हें तोड़ना चाहते हैं। चिराग पासवान ने 28 नवंबर को पटना में एलजेपी रामविलास की स्थापना दिवस पर एक बड़ी रैली का भी ऐलान किया है।

केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद चिराग पासवान मोदी सरकार की कई नीतियों का खुलकर विरोध करते रहे हैं। चाहे वो आरक्षण का मुद्दा हो या फिर दूसरा कोई मामला, चिराग गठबंधन धर्म से ऊपर उठकर अपनी बात रखते हैं। हाल ही में उन्होंने कहा है कि चाहे मैं किसी भी गठबंधन में रहूं, किसी भी मंत्री पद पर रहूं, जिस दिन मुझे लगेगा कि संविधान के साथ और आरक्षण के साथ खिलवाड़ हो रहा है मैं उसी वक्त मंत्री पद को लात मार दूंगा। चिराग ने आगे कहा कि एक मिनट भी नहीं लगेगा कुर्सी छोड़ने में। जैसे मेरे पिता ने एक मिनट में मंत्री पद त्याग दिया था उसी तरह मैं भी एक मिनट में मंत्री पद त्याग दूंगा।

इसके साथ ही चिराग ने अपने चाचा पशुपति पारस पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ ऐसी मानसिकता के लोग हैं जो चिराग पासवान को तोड़ना चाहते हैं। चिराग पासवान अपने समाज को आगे बढ़ा रहा है इसलिए हमें समाप्त करना चाहते हैं। उन्हें पसंद नहीं आता कि अपने पिता की सोच को क्यों यह आगे बढ़ा कर लेना जाना चाहता है, लेकिन जो लोग मुझे तोड़ना चाहते हैं वह भूल जाते हैं कि मैं शेर का बेटा हूं। मैं किसी के सामने झुकने वाला नहीं हूं। डरता तो मैं किसी से भी नहीं हूं।

चिराग ने 28 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में होने वाली एलजेपी रामविलास की स्थापना दिवस रैली को लेकर भी बात की। उन्होंने कहा कि 28 नवंबर को पटना में करेंगे बड़ी रैली। मंत्री बनने के बाद से ही चिराग पासवान कई मुद्दों पर मोदी सरकार से अलग राय रखते नजर आए हैं। जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि SC और ST वर्ग में राज्य सरकारें कोटा के अंदर कोटा बना सकती हैं तो चिराग ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि हमारी पार्टी सुप्रीम कोर्ट से 15 फीसदी एससी कोटे के भीतर क्रीमीलेयर को अनुमति देने वाले अपने हालिया फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध करेगी। एससी-एसटी कोटे में क्रीमीलेयर की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

केंद्र सरकार के उस फैसले का भी चिराग ने विरोध किया था जिसमें केंद्रीय सचिवालय में विशेष पदों पर लेटरल एंट्री में सिर्फ सामान्य वर्ग के लोगों को नियुक्ति देने की बात कही गई थी। चिराग ने कहा था कि प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की व्यवस्था नहीं है। सरकारी क्षेत्र में किसी तरह की नियुक्ति हो, उसमें आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए। नहीं तो आरक्षण की व्यवस्था को घात लगेगी। चिराग के विरोध के बाद सरकार को अपना यह फैसला वापस लेना पड़ा था।

झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान भी चिराग पासवान ने गठबंधन से अलग अपनी राय रखी थी। उन्होंने कहा था कि हमारी पार्टी झारखंड में 40 सीटों पर तैयारी कर रही है। अगर गठबंधन में बात बनती है तो ठीक, नहीं तो अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। चिराग ने 25 अगस्त को रांची में अपनी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी की थी।