नई दिल्ली: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आ गए हैं। हरियाणा में बीजेपी ने एक बार फिर जोरदार वापसी की है तो जम्मू कश्मीर में इंडिया गठबंधन की सरकार बन रही है। वहीं हरियाणा में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद चुनाव हुए और कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन ने 49 सीटें जीतीं। भाजपा ने 29 सीटें जीतीं। वहीं हरियाणा में बीजेपी को 48 सीटों पर जीत दर्ज की है। कांग्रेस को 29 सीटों पर जीत मिली है।

कांग्रेस को कलह से मिली हार

हरियाणा में कांग्रेस ने चुनाव प्रचार की शुरुआत तो जोरदार तरीके से की थी, लेकिन धीरे-धीरे पार्टी के अंदर की कलह सबके सामने आ गई। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रणदीप सुरजेवाला के समर्थकों के बीच खींचतान साफ दिखाई दे रही थी। इस पूरे घटनाक्रम में सबसे ज्यादा नाराजगी सांसद कुमारी शैलजा के खेमे में देखी गई।

कांग्रेस को एक तरफ आम आदमी पार्टी से चुनौती मिल रही थी, वहीं दूसरी तरफ पार्टी के अंदरूनी कलह ने नुकसान पहुंचाया। टिकट बंटवारे में भी कुमारी शैलजा की अनदेखी की गई, जिससे दलित वोट बैंक में नाराजगी देखने को मिली। कई नेता टिकट न मिलने से नाराज होकर दूसरी पार्टियों में शामिल हो गए या फिर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतर गए।

राहुल गांधी ने की 12 रैलियां

राहुल गांधी ने हरियाणा में 12 चुनावी रैलियां की, लेकिन कांग्रेस को सिर्फ 5 सीटों पर जीत मिली। गन्नौर, सोनीपत और बहादुरगढ़ जैसी सीटों पर तो निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। राहुल गांधी ने मंच से कुमारी शैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा का हाथ मिलाकर एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।

कुमारी शैलजा टिकट बंटवारे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा खेमे के दबदबे से नाराज थीं। उन्होंने खुलकर कहा था कि उनकी भूपेंद्र हुड्डा से बातचीत नहीं होती है। हरियाणा के चुनाव में भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला, तीनों ही मुख्यमंत्री पद की दावेदारी ठोक रहे थे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा दो बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और तीसरी बार फिर से मुख्यमंत्री बनने की कोशिश में थे। कुमारी शैलजा दलित और महिला कार्ड के साथ-साथ पार्टी आलाकमान से नजदीकी के सहारे मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल थीं।

चुनाव परिणाम आने से पहले ही कांग्रेस के अंदर घमासान शुरू हो गया था। चुनाव परिणाम आने से दो दिन पहले ही कुमारी शैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा दोनों दिल्ली में डेरा डाले बैठे थे। दोनों ही नेता चुनाव परिणाम के साथ अपनी दावेदारी पेश करने के लिए तैयार थे। चुनाव परिणाम ने साफ कर दिया कि हरियाणा में कांग्रेस ने ही कांग्रेस को हराया। पार्टी के अंदर की कलह ने उसे सत्ता से दूर कर दिया।

जम्मू कश्मीर में इंडिया गठबंधन

जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन ने 49 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि भाजपा को 29 सीटों पर संतोष करना पड़ा। भाजपा 10 साल से सत्ता में थी और अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद हुए ये पहले विधानसभा चुनाव था।

अखनूर सीट से जीते भाजपा उम्मीदवार मोहन लाल ने कहा कि मैं यहां की जनता का बहुत धन्यवाद करता हूं। मैंने अखनूर की जनता के लिए जो भी संकल्प लिया है, उसे हर कीमत पर पूरा करूंगा। इस विधानसभा को मैं आदर्श विधानसभा बनाकर रहूंगा। मैं अखनूर को औद्योगिक और पर्यटन हब बनाने की दिशा में काम करूंगा। अखनूर में चौतरफा विकास की बयार बहे, यही मेरी कोशिश रहेगी।

जम्मू नॉर्थ से जीते भाजपा उम्मीदवार श्याम लाल शर्मा ने कहा कि हिंदुस्तान के लोकतंत्र और खासकर जम्मू-कश्मीर के लिए यह ऐतिहासिक जीत है। मेरे विधानसभा क्षेत्र में जो स्थानीय दुश्वारियां हैं, उसे दूर करने की दिशा में काम किया जाएगा, ताकि इस विधानसभा में सभी लोगों का विकास सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि जिसके पास ज्यादा संख्या होगी, घाटी में उसी की सरकार बनेगी। लोकतंत्र का यही नियम है।

जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हुए हैं। अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद यह पहला चुनाव था। कांग्रेस सहित अन्य दल लगातार अनुच्छेद 370 का विरोध कर रहे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने तो अपने घोषणापत्र में सत्ता में आने पर अनुच्छेद 370 को बहाल करने का वादा किया था। भाजपा ने इसका विरोध किया था। भाजपा का दावा है कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने से घाटी में आतंकी गतिविधियों पर रोक लगी है और शांति आई है। लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस सहित अन्य दल इन दावों को खारिज करते रहे हैं। ऐसे में चुनाव परिणामों पर न सिर्फ जम्मू-कश्मीर बल्कि पूरे देश की नजरें टिकी हुई थीं।