लव मैरिज के एक साल बाद कोर्ट पहुंची पत्नी, बोली- जज साहब... क्रूर पति का बच्चा नहीं चाहिए; जानें फिर क्या हुआ
MP News: मध्य प्रदेश के इंदौर में लव मैरिज का दुखद अंत हुआ है। प्रेग्नेंट महिला ने हाईकोर्ट से यह कहकर अबॉर्शन के लिए अनुमति मांगी की कि वह क्रूर पति के बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती है।
इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौरा से सनसनीखेज मामला सामने आया है। एक प्रेग्नेंट महिला ने हाईकोर्ट से अनुमति लेकर अबॉर्शन करवाया है। उसका कहना था कि उसे क्रूर पति का बच्चा मुझे नहीं चाहिए। जानकारी के अनुसार, उसने एक साल पहले लव मैरिज की थी। अबॉर्शन के साथ ही इस लव मैरिज का दुखद अंत हो गया है। बताया जा रहा है कि शादी के बाद पति-पत्नी के रिश्ते में तनाव बढ़ने लगे थे। इसके बाद महिला ने हाईकोर्ट ने गर्भपात की अनुमति मांगी थी। महिला का कहना था कि पति का व्यवहार बहुत क्रूर था। इसलिए वह उसके बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती थी। हालांकि इससे पहले दोनों की काउंसलिंग की गई थी लेकिन दोनों तैयार नहीं हुए थे।
जानकारी के अनुसार, इंदौर में रहने वाले एक युवक और युवती ने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर प्रेम विवाह किया था। शुरुआती कुछ महीने तो सब ठीक रहा, लेकिन फिर छोटी-छोटी बातों पर झगड़े होने लगे। इस बीच महिला गर्भवती हो गई, जिससे झगड़े और बढ़ गए। महिला ने पति पर दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा का आरोप लगाते हुए केस दर्ज करा दिया। ये दोनों मामले अभी भी कोर्ट में चल रहे हैं।
महिला का कहना है कि पति लगातार दहेज की मांग करता था, जिसे पूरा करना उसके परिवार के लिए संभव नहीं था। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि दोनों अलग रहने लगे। 18 हफ्ते की गर्भवती महिला ने हाईकोर्ट में गर्भपात की अनुमति मांगी। उसका कहना था कि वह ऐसे क्रूर पति से बच्चा नहीं चाहती। उसे डर था कि बच्चे का भविष्य अंधकारमय होगा। महिला बोली-नहीं चाहिए क्रूर पति से जन्म लेने वाला बच्चा।
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक महिला वकील को काउंसलर नियुक्त किया। काउंसलर ने पति-पत्नी दोनों की काउंसलिंग की लेकिन कोई हल नहीं निकला। सुनवाई के दौरान जज ने भी दोनों को समझाने की कोशिश की लेकिन दोनों अपनी जिद पर अड़े रहे। एजुकेटेड होने के बावजूद दोनों साथ रहने को राजी नहीं हुए।
शादी के बाद दोनों के बीच मतभेद इतने बढ़े कि रिश्ता बचाने की परिस्थिति बची ही नहीं। इस केस में आखिरी तक काफी प्रयास हुए कि ऐसा न हो लेकिन सफलता नहीं मिली। हाईकोर्ट ने महिला की मेडिकल रिपोर्ट मंगवाई। रिपोर्ट में बताया गया कि महिला 19 हफ्ते की गर्भवती है और गर्भपात के लिए फिट है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसलों का हवाला देते हुए महिला को गर्भपात की अनुमति दे दी। इसके बाद डॉक्टरों की एक टीम ने महिला का गर्भपात करा दिया।