महाराष्ट्र में कार रखने वाली महिलाओं का कटेगा लाडकी बहिना योजना से नाम, मचा हड़कंप

महाराष्ट्र में लाडकी बहिन योजना की शुरुआत हुई थी। इस योजना की शर्तें हैं कि लाभार्थी के पास कार नहीं होनी चाहिए। अब कार वाली जो महिलाएं योजना का लाभ ले रही हैं उनका नाम काटा जाएगा।

मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले लाडकी बहिन योजना की शुरूआत हुई थी। इस योजना के तहत हर महीने महिलाओं को 1500 रुपए मिलते हैं। अब महाराष्ट्र सरकार उन महिलाओं की पहचान करेगी तो पात्र नहीं होते हुए भी इस योजना का लाभ ले रहे हैं। खासकर कार चार पहिया वाहन रखने वाली महिलाओं की, इसके बाद उन्हें योजना से बाहर कर दिया जाएगा।

लाडकी बहिन योजना के तहत 65 वर्ष तक की आयु वाली उन महिलाओं को 1500 रुपए हर महीने दिए जाते हैं, जिनकी सलाना आया ढाई लाख रुपए से कम है। साथ ही उनके परिवार का कोई सदस्य सरकारी कर्मचारी नहीं हो। किसी अन्य सरकारी योजना के तहत उन्हें मासिक सहायता नहीं मिलती हो। अधिकारियों के अनुसार अकेले पुणे की 21 लाख महिलाएं इस योजना का लाभ उठा रही हैं।

कांग्रेस और एनसीपी ने इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की है और इसे महिलाओं का अपमान और उन्हें धोखा देना बताया है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पुणे जिला परिषद के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी जामसिंह गिरासे ने कहा कि उन्हें अयोग्य घोषित करने का प्रस्ताव हमने लाया है। उनके खिलाफ कोई जांच नहीं होगी और न ही उन पर कोई जुर्माना लगाया जाएगा।

गिरासे ने कहा कि अधिकारी भी घर-घर जाकर ऐसा नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि हमने आरटीओ से ऐसी महिलाओं की सूची जमा करने को कहा है। हम सूची के अनुसार काम करेंगे। इसमें एक महीने का समय लग सकता है।

इस बीच पिंपरी-चिंचवाड़ के इंद्रायणी नगर इलाके की एक महिला लाभार्थी ने कहा कि भले ही उसके पास एक चार पहिया वान है लेकिन इसे 10 साल पहले खरीदा गया था। उसने पूछा कि मैंने तीन से साल से ज्यादा समय पहले नौकरी खो दी थी। मुझे कोई वेतन नहीं मिलता लेकिन मेरे पास एक चार पहिया वान है, जिसे मैंने 10 साल पहले खरीदा था जब मैं काम करती थी। मैं क्या करूं।

इस पर गिरासे ने कहा कि सरकारी निर्देशों के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के नाम पर कोई चार पहिया वाहन है तो उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।

पुणे शहर के कांग्रेस प्रवक्ता गोपाल तिवारी ने सरकार की इस कार्रवाई को महिलाओं के लिए अमानवीय और अपमानजनक करार दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ महिलाओं के पास चार पहिया वाहन हो सकता है। कई महिलाओं ने कोविड-19 महामारी से पहले इसे खरीदा था। कोविड के दौरान, पुणे के कई निवासियों ने अपनी नौकरी खो दी। वे अपनी ईएमआई का भुगतान करने की स्थिति में भी नहीं थे। कुछ अभी भी नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे व्यक्ति के पास अभी भी कार है लेकिन उसके पास कोई नौकरी नहीं है तो क्या सरकार अयोग्य घोषित करेगी। यह केवल महिलाओं के प्रति सरकार के अमानवीय और अपमानजनक रवैए को दर्शाता है।

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