नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने दशहरा रैली के मौके पर शनिवार अपने संबोधन में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हुए अत्याचारों को मुद्दा उठाया। संघ प्रमुख ने कहा कि हमारे पड़ोसी बांग्लादेश में क्या हुआ। हो सकता है इसके कुछ तत्काल कारण हों, लेकिन इस पर संबंधित लोग चर्चा करेंगे। लेकिन उस अफरा तफरी के बीच हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार करने की परंपरा दोहराई गई।

पहली बार, हिंदू एकजुट हुए और अपनी सुरक्षा के लिए सड़कों पर उतरे। लेकिन जब तक इस तरह का कट्टरपंथी स्वभाव, गुस्से में आकर अत्याचार करने का रहता है, तब तक न सिर्फ हिंदू, बल्कि सभी अल्पसंख्यक खतरे में रहेंगे। उन्हें दुनिया भर के हिंदुओं से मदद की जरूरत है। यह बेहद जरूरी है कि भारत सरकार उनकी मदद करे।

मोहन भागवत ने आगे कहा कि कमजोर होना एक अपराध है। अगर हम कमजोर हैं, तो हम अत्याचार को आमंत्रण दे रहे हैं। हम जहां भी हैं, एकजुट और सशक्त होने की जरूरत है। बांग्लादेश में हाल की घटनाओं पर चर्चा करते हुए मोहन भागवत हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा पर गहरी चिंता जताई और कहा कि यह कोई नई बात नहीं है। हर बार जब बांग्लादेश में कोई सामाजिक या राजनीतिक अशांति होती है, तो हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जाता है।

उन्होने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं और इन घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुओं को अब अपने अधिकारों के लिए खड़े होने की जरूरत है। एकजुटता और सशक्तिकरण के माध्यम से ही अत्याचारों का सामना किया जा सकता है। संघ प्रमुख ने इस बात पर भी जोर दिया कि कमजोर होना खतरनाक है, क्योंकि यह अत्याचार का रास्ता खोलता है।