महाकुंभ से 'लापता' हो गए 'आईआईटीयन बाबा', अभय सिंह को तलाश रहे संत; जानें गुरुवार रात क्या हुआ था

Mahakumbh 2025: आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग करने वाले अभय सिंह ( आईआईटी बाबा के नाम से जाना जाता है ) ने प्रयागराज महाकुंभ में अपने आश्रम को छोड़ दिया और अज्ञात स्थान पर चले गए हैं।

प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में जूना अखाड़े के 16 मढ़ी आश्रम में रहने वाले आईआईटीयन बाबा अभय सिंह अचानक लापता हो गए हैं। किसी को नहीं पता कि वे कहां गए हैं। आश्रम के संत भी उनके बारे में कुछ नहीं जानते। गुरुवार रात उनके माता-पिता भी उन्हें खोजते हुए आश्रम पहुंचे, लेकिन तब तक बाबा वहां से जा चुके थे। उनका फोन भी बंद है, जिससे उनकी लोकेशन का पता लगाना मुश्किल हो रहा है। उनके दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु और मीडियाकर्मी भी निराश लौट रहे हैं।

आश्रम के संतों का कहना है कि बाबा लगातार मीडिया को इंटरव्यू दे रहे थे। इस वजह से उन पर मानसिक दबाव बढ़ रहा था। उन्होंने मीडिया में कुछ ऐसी बातें भी कह दीं, जिससे विवाद पैदा हो गया। इसी के चलते उन्होंने आश्रम छोड़ने का फैसला किया।

आईआईटीयन बाबा का असली नाम अभय सिंह है। वे हरियाणा के झज्जर के रहने वाले हैं। उनके पिता कर्ण सिंह वकील हैं और झज्जर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। अभय ने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद वे कनाडा गए और एक विमान निर्माता कंपनी में काम किया। कुछ समय बाद वे भारत लौट आए और फिर घर से गायब हो गए।

महाकुंभ में उनकी वीडियो वायरल होने के बाद उनके परिवार को उनके बारे में पता चला। हालांकि, अब परिवार इस बारे में ज्यादा बात नहीं करना चाहता। इंटरनेट पर 'आईआईटीयन बाबा' के नाम से मशहूर अभय सिंह का दावा है कि वे आईआईटी बॉम्बे के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने वहां से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। हरियाणा के रहने वाले अभय सिंह ने महाकुंभ में अपने अनोखे अंदाज से सबका ध्यान खींचा। जूना अखाड़े से जुड़े अभय सिंह चित्रों और आरेखों के जरिए जटिल आध्यात्मिक बातों को आसान भाषा में श्रद्धालुओं को समझाते थे।

बाबा अभय सिंह ने आईआईटी से 'भक्ति' के रास्ते पर आने की अपनी कहानी बताई। उन्होंने बताया कि मेरा जन्म हरियाणा के झज्जर में हुआ था। मैंने अपनी स्कूली शिक्षा वहीं पूरी की। इसके बाद मैंने जेईई की तैयारी शुरू कर दी। फिर मैं एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के लिए आईआईटी बॉम्बे गया। वहां मेरे जीवन ने कई मोड़ लिए। उन्होंने आगे कहा कि जब मैं आईआईटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग कर रहा था, तो मुझे लगता था कि यही सब कुछ है। बाद में जब मैं अध्यात्म की ओर बढ़ा, तो अब मुझे लगता है कि असली विज्ञान यही है।

अभय सिंह ने बताया कि इंजीनियरिंग के दौरान उनकी रुचि मानविकी विषयों में बढ़ी। उन्होंने दर्शनशास्त्र से जुड़ी कई किताबें पढ़ीं। इस दौरान उन्हें डिजाइनिंग में भी रुचि हुई और उन्होंने दो साल तक डिजाइनिंग सीखी। उन्होंने एक फोटोग्राफी कंपनी में भी काम किया, लेकिन कुछ समय बाद उनका मन उचट गया। वे डिप्रेशन में चले गए। इससे उबरने के लिए वे कनाडा गए और वहां नौकरी की, जहां उनकी सैलरी तीन लाख रुपये प्रति महीना थी। बाद में उनकी सैलरी बढ़ भी गई, लेकिन उनका मन वहां भी नहीं लगा।

कोरोना महामारी के दौरान वे भारत लौट आए। फिर उन्होंने दर्शनशास्त्र का अध्ययन शुरू किया और जीवन का अर्थ समझने की कोशिश की। अब वे कहते हैं कि उन्होंने अपना जीवन भगवान को समर्पित कर दिया है। भक्ति में उन्हें वह शांति मिली जो वे खोज रहे थे। अभय सिंह का मानना है कि 'अध्यात्म' सिर्फ एक व्यक्तिगत खोज नहीं है। यह भारत की पूरी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक व्यवस्था को जोड़ने वाला एक सूत्र है।

Related Articles
प्रमुख खबर
Next Story
Share it