नई दिल्ली: कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में लगातार दूसरे दिन भारत और बांग्लादेश के बीच एक गेंद भी नहीं फेंकी जा सकी। दूसरे टेस्ट मैच में तीन दिन का खेल बीत चुका है और बचे हुए दो दिनों के लिए भी कोई खास उम्मीद नहीं दिखती की कोई फैसला हो। तीन दिन के भीतर अब तक केवल 35 ओवरों का ही खेल हो सका है। यदि बचे हुए दो दिन खेल नहीं होता और कोई नतीजा नहीं निकलता तो इसका असर वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में भारत के अंक पर पड़ेगा।

इस स्थिति के लिए किसे दोषी ठहराया जाएगा - भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI), जिसने टेस्ट मैच उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ (UPCA) को आवंटित किया, या UPCA, जिसके अधीन यह सब कुछ है।यह विडंबना ही थी कि जब BCCI का नया सेंटर जिसे (अब नेशनल क्रिकेट एकेडमी के रूप में जाना जाएगा) बेंगलुरु में मीडिया को दिखाया जा रहा था, उसी दिन कानपुर में तीसरे दिन का खेल रद्द कर दिया गया। यह स्थिति तब थी जब सुबह 10 बजे से बारिश बंद हो गई थी।

ठीक वैसे ही जैसे पिछले दिन, जब भी कोई गेंद नहीं फेंकी गई थी।भारत में घरेलू टेस्ट मैचों में लगातार दो दिनों तक खेल रद्द होने की अंतिम घटना 2015 में बेंगलुरु में हुई थी। लेकिन उस समय लगातार बारिश ने खेल को बाधित किया था, जिससे अंतिम चार दिनों में कोई खेल नहीं हो सका था। इस बार कोई बहाना नहीं था। समस्या लगातार बारिश नहीं, बल्कि गीला आउटफील्ड था

गीला आउटफील्ड आज के समय में बीते दिनों की बात समझा जाता है। कानपुर ग्रीन पार्क स्टेडियम में पर्याप्त पानी निकासी की व्यवस्था नहीं देखने को मिली। जब यह सिस्टम नहीं था तब कानपुर को मैच क्यों दिया गया, जब भारत में दर्जनों से ज्यादा टेस्ट स्टेडियम हैं।ग्रीन पार्क कभी भारतीय टेस्ट कैलेंडर में नियमित स्थान हुआ करता था, लेकिन ऐसा लगता है कि ग्रीन पार्क समय के साथ ठहर गया है, जबकि बाकी दुनिया आगे बढ़ गई है।

वहां की पानी निकासी प्रणाली लगभग वैसी ही है जैसी 1969 में थी। क्या खिलाड़ियों के साथ ही साथ क्रिकेट को बेहतर सुविधाओं की जरूरत नहीं है?तीन सप्ताह पहले, अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड को इस बात के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था कि उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ नोएडा में टेस्ट मैच का आयोजन किया, जहां कोई खेल संभव नहीं हो पाया था।उस मैच में भी बारिश कम थी, समस्या पानी निकासी और पर्याप्त कवर न होने की थी। हमने अफगानिस्तान को बेंगलुरु और लखनऊ की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने नोएडा को चुना। तब हमने ताना मारा, अब क्या कहेंगे?