ना जी ना... इधर कांग्रेस से गठबंधन की खबर आई तो केजरीवाल ने देर नहीं की, बोले- अकेले ठीक
आम आदमी पार्टी दिल्ली में 70 सीटों में से 31 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर चुकी है। इसी बीच खबर आती है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में गठबंधन हो सकता है। कांग्रेस को AAP की ओर से 15 सीटें मिल सकती हैं। यह चर्चा तेज हुई मंगलवार दिल्ली में हुई इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक के बाद।
नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं, जो उसके लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। चुनाव प्रचार के बीच मीडिया में खबरें आईं कि AAP और कांग्रेस गठबंधन कर सकते हैं, क्योंकि दोनों पहले राज्य में मिलकर सरकार चला चुके हैं। लेकिन आज सुबह AAP संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साफ कर दिया कि उनकी पार्टी इस चुनाव में कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी। माना जा रहा है कि यह फैसला AAP की बड़ी चुनावी रणनीति का हिस्सा है।
केजरीवाल के ऐलान की पृष्ठभूमि
इससे पहले, बीती रात दिल्ली में शरद पवार के घर इंडिया गठबंधन के कई नेताओं की बैठक हुई थी। बैठक का उद्देश्य गठबंधन के नेता का अनौपचारिक चयन था, जिसमें AAP के नेता भी शामिल थे। शरद पवार, अखिलेश यादव, और AAP के नेताओं ने ममता बनर्जी के नाम का समर्थन किया था। इसके तुरंत बाद केजरीवाल ने दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। माना जा रहा है कि AAP कांग्रेस से किसी भी तरह का जुड़ाव दिखाने से बचना चाहती है।
AAP की रणनीति
AAP इस बार बेहद सतर्कता से चुनावी कदम उठा रही है। दिल्ली में लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी का लक्ष्य रखते हुए वह कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। पिछली बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन के बावजूद AAP को फायदा नहीं हुआ, और बीजेपी ने सभी सात सीटों पर जीत दर्ज की। विधानसभा की 70 सीटों के लिए अगर AAP कांग्रेस के साथ गठबंधन करती है, तो उसे सीटों का बंटवारा करना होगा, जो उसके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
अल्पसंख्यक वोटों का समीकरण
AAP समझती है कि अल्पसंख्यक वोट आमतौर पर बीजेपी को सीधी टक्कर देने वाले दल की तरफ झुकते हैं। चूंकि AAP सत्ता में है, यह वोट उसे मिलने की संभावना है। कांग्रेस पिछले दो चुनावों में शून्य पर रही है, इसलिए इन वोटों के उसके पास जाने की संभावना कम है। ऐसे में AAP कांग्रेस के साथ गठबंधन कर अपने वोट बैंक का बंटवारा नहीं करना चाहती। AAP ने कांग्रेस के वोटबेस को तोड़कर ही राज्य में अपनी स्थिति मजबूत की थी और अब वह इसे खतरे में नहीं डालना चाहती।