बिहार में भूमि सर्वे में बड़ा घोटाला सामने आया है। 20 जिलों के लगभग 929 गांवों के खतियान गायब बताये जा रहे हैं। यह खुलासा तब हुआ जब पहले चरण का सर्वे पूरा होने का दावा किया जा रहा था। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस लापरवाही पर अधिकारियों को फटकार लगाई है और जल्द से जल्द खतियान जमा करने का आदेश दिया है।

दरअसल, बिहार में चल रहे भूमि सर्वे के पहले चरण में 20 जिलों में काम पूरा होने की बात कही जा रही थी, लेकिन अब पता चला है कि इन जिलों के लगभग 929 गांवों के खतियान गायब हैं। हैरानी की बात यह है कि बिना खतियान जमा हुए ही सर्वे का काम पूरा मान लिया गया। इस लापरवाही पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने संबंधित अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है।

सचिव जय सिंह ने सभी 20 जिलों के बंदोबस्त पदाधिकारियों को पत्र लिखकर तुरंत खतियान जमा करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है कि इतने बड़े पैमाने पर खतियान गायब हैं। उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि सभी बंदोबस्त पदाधिकारी अंतिम रूप से प्रकाशित खतियान की जांच करके उसकी रिपोर्ट जल्द से जल्द निदेशालय को भेजें।

इस मामले में और भी चौंकाने वाली बात यह है कि ना तो बंदोबस्त पदाधिकारियों ने खतियान अंचल को भेजे हैं और ना ही समाहर्ता के पास जमा कराए हैं। यहां तक कि भू अभिलेख निदेशालय को भी इसकी कोई जानकारी नहीं है। यह सवाल उठता है कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर खतियान गायब कैसे हो गए? कहीं यह जानबूझकर किया गया काम तो नहीं है?

सर्वे ट्रैकर के अनुसार, अब तक कुल 929 राजस्व गांवों का खतियान प्रकाशित हो चुका है। इन सभी राजस्व ग्रामों का खतियान संबंधित अंचल और समाहरणालय को उपलब्ध कराया जाना जरूरी है। सचिव जय सिंह ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि संबंधित कार्यालय को खतियान भेजे जाने से पहले चेक लिस्ट के अनुसार उसकी जांच की जानी चाहिए और चेक लिस्ट की समीक्षा निदेशालय स्तर पर की जाएगी।

अब इस मामले में विभागीय जांच की मांग उठने लगी है। विपक्षी दलों ने इस मामले को विधानसभा में उठाने की बात कही है। जिन 20 जिलों में सर्वे का काम पूरा होने का दावा किया जा रहा है, उनमें अररिया, अरवल, बांका, बेगूसराय, जमुई, जहानाबाद, कटिहार, खगड़िया, किशनगंज, लखीसराय, मधेपुरा, मुंगेर, नालंदा, पूर्णिया, सहरसा, शेखपुरा, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल और पश्चिम चंपारण शामिल हैं।