बिहार में अब LPG की तरह हर महीने बदल जाएगा बिजली का बिल, जानें कंपनियां कैसे तय करेंगी रेट

Bihar Electric Bill: बिहार में बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी खबर है। बिजली कंपनियां अब हर महीने बिजली दरों में बदलाव कर सकेंगी। तेल और कोयले की कीमतों के आधार पर दरें घटेंगी या बढ़ेंगी।

पटना: बिहार में अब बिजली का बिल हर महीने बदल सकता है। BERC ने बिजली कंपनियों को यह अधिकार दे दिया है। ये कंपनियां तेल और कोयले की कीमतों के हिसाब से बिजली की दरें बढ़ा या घटा सकेंगी। साउथ बिहार और नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को यह सुविधा मिली है। इससे 2.7 करोड़ उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा। नई व्यवस्था से बिजली बिल में हर महीने बदलाव देखने को मिल सकता है। इस बदलाव से उपभोक्ताओं को फायदा भी हो सकता है। क्योंकि तेल और कोयले की कीमत कम होने पर बिजली बिल भी कम आएगा।

बिहार में बिजली की कीमतें अब तेल और कोयले की कीमतों से जुड़ गई हैं। BERC ने बिजली वितरण कंपनियों को हर महीने बिजली दरों में बदलाव करने की अनुमति दे दी है। इसका मतलब है कि आपका बिजली का बिल हर महीने कम या ज्यादा हो सकता है। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि तेल और कोयले की कीमतें उस महीने कितनी रहीं। साउथ बिहार और नॉर्थ बिहार, दोनों क्षेत्रों की बिजली वितरण कंपनियों को यह अधिकार दिया गया है।

इस नए सिस्टम में बिजली कंपनियां हर महीने तेल और कोयले की कीमतों का आकलन करेंगी। इसके आधार पर वे अगले महीने के बिजली बिल में दरें कम या ज्यादा कर सकेंगी। मान लीजिए मार्च में कोयले की कीमत बढ़ जाती है। तो अप्रैल में बिजली उत्पादन कंपनियां अपनी दरें बढ़ा देंगी। फिर मई में बिजली वितरण कंपनियां उपभोक्ताओं से बढ़ी हुई दर पर बिजली का बिल वसूलेंगी। अगर कीमतें कम होती हैं, तो बिल भी कम आएगा। बिजली कंपनियों को अपने बिल में यह स्पष्ट रूप से बताना होगा कि किस महीने कीमतें बढ़ीं या घटीं और कितनी बढ़ीं या घटीं। ऐसा नहीं करने पर कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।

दरअसल, BERC हर साल नवंबर में बिजली कंपनियों से एक प्रस्ताव मांगता है। इस प्रस्ताव में पिछले साल की ऑडिट रिपोर्ट, इस साल के खर्च और आमदनी का विवरण, और अगले साल के खर्च का अनुमान होता है। आम जनता की राय सुनने के बाद BERC बिजली की दरें तय करता है। यह दरें एक साल के लिए लागू होती हैं। पहले, तेल और कोयले की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण बिजली उत्पादन कंपनियों को अपनी दरों में बदलाव के लिए BERC से अनुमति लेनी पड़ती थी। लेकिन अब BERC ने वितरण कंपनियों को यह अधिकार दे दिया है कि वे जरूरत के हिसाब से दरों में बदलाव कर सकें। पहले साल में सिर्फ एक बार दरें बदलती थीं। लेकिन अब हर महीने बदलाव हो सकता है।

साल के अंत में टैरिफ प्रस्ताव में सभी बदलावों का हिसाब दिया जाएगा। अगर उपभोक्ताओं से ज्यादा पैसे वसूले गए होंगे, तो अगले साल की दरों में कमी की जाएगी। अगर 1 अप्रैल 2024 से 19 दिसंबर 2024 तक बिजली दरों में कमी आती है, तो उपभोक्ताओं को नए साल में सस्ता बिजली बिल मिल सकता है। इस नई व्यवस्था से उपभोक्ताओं को फायदा हो सकता है क्योंकि अब हर महीने तेल और कोयले की कीमतों में बदलाव के आधार पर बिजली दरों में उतार-चढ़ाव होगा।

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