बिहार के लोगों के लिए अच्छी खबर है। अगर आपको बिजली से जुड़ी कोई समस्या है और स्थानीय अधिकारी आपकी नहीं सुन रहे हैं तो अब आपको परेशान होने की अब जरूरत नहीं है। आप सीधे उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम (CGRF) में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यहां आपको न तो वकील की जरूरत होगी और ना ही कोई फीस देनी पड़ेगी। आप खुद अपनी बात फोरम के सामने रख सकते हैं।

दरअसल, बिहार स्मार्ट मीटर को लेकर भी एक नई व्यवस्था लागू की गई है। बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने बिजली कंपनी को आदेश दिया है कि वह अपने हर डिविजन में स्थापित सुविधा केंद्र पर CGRF के नाम से आने वाले सभी आवेदन प्राप्त करें। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि उपभोक्ताओं को आवेदन देने के लिए बिजली कंपनी के सर्किल मुख्यालय तक न जाना पड़े।

पहले CGRF के लिए आपको उनके ऑफिस जाना पड़ता था, लेकिन अब आप अपने डिविजन के सुविधा केंद्र पर भी शिकायती पत्र जमा कर सकते हैं। राज्य के 20 शहरों में CGRF गठित किए गए हैं। आप चाहें तो ऑनलाइन या ऑफलाइन, किसी भी तरीके से आवेदन दे सकते हैं। एक बार केस दर्ज हो जाने के बाद दोनों पक्षों को नोटिस भेजा जाएगा।

इसके बाद बिजली कंपनी के अधिकारी और उपभोक्ता, फोरम के सामने अपना-अपना पक्ष रखेंगे। CGRF में केस दर्ज होने के बाद, मामले के समाधान के लिए विद्युत कार्यपालक अभियंता को पत्र भेजा जाएगा। कार्यपालक अभियंता को 7 दिनों के अंदर अपना जवाब देना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं, तो CGRF दोनों पक्षों को नोटिस भेजेगा और सुनवाई की तारीख और समय तय करेगा।

लेकिन अगर आपको CGRF के फैसले से संतुष्टि नहीं मिलती है, तो आप क्या कर सकते हैं? ऐसे में आपको बिजली कंपनी के मुख्यालय में स्थित ऑम्बड्समैन (विद्युत लोकपाल) के यहां अपील करनी होगी। यहां भी आपको किसी वकील की जरूरत नहीं पड़ेगी और न ही कोई फीस देनी होगी। आपकी बात सुनने के बाद, ऑम्बड्समैन अपना फैसला सुनाएंगे। अगर आपको ऑम्बड्समैन के फैसले से भी संतुष्टि नहीं मिलती है, तो आप सीधे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

कभी-कभी ऐसा होता है कि CGRF आपके पक्ष में फैसला तो सुना देता है, लेकिन बिजली कंपनी के अधिकारी उसका पालन नहीं करते हैं। ऐसी स्थिति में आप विद्युत विनियामक आयोग में आवेदन दे सकते हैं। यहां आपकी शिकायत पर फिर से सुनवाई होगी और उसके बाद फैसला सुनाया जाएगा। अगर बिजली कंपनी के अधिकारी CGRF के फैसले को नहीं मानते हैं, तो आयोग उन पर 1 लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगा सकता है।