लालू यादव और राबड़ी देवी से 'दूर' हो रहे तेजस्वी, बिहार में नया सियासी खेला करने को तैयार है आरजेडी?
Bihar Politics: बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसको लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज है। विपक्षी पार्टी RJD पोस्टरों के जरिए चुनाव प्रचार में जुटी है। इन पोस्टरों में तेजस्वी यादव को प्रमुखता से दिखाया जा रहा है।
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पटना: बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुटे हैं। RJD ने अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत कर दी है। राजधानी पटना में RJD कार्यालय के बाहर कई पोस्टर लगाए गए हैं। इन पोस्टरों में तेजस्वी यादव को बिहार के भविष्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है। पोस्टरों में तेजस्वी को अगला मुख्यमंत्री भी बताया गया है। लेकिन इन पोस्टरों से एक चेहरा गायब है। वो चेहरा RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का है। इन पोस्टरों में लालू की तस्वीर नहीं है। सिर्फ तेजस्वी यादव और पार्टी के चुनाव चिह्न लालटेन की तस्वीर है। कुछ पोस्टरों में तेजस्वी यादव के वादे भी लिखे गए हैं। लेकिन लालू यादव की तस्वीर कहीं नहीं दिख रही।
दरअसल, BJP और JDU अक्सर लालू-राबड़ी राज को याद दिलाकर RJD पर हमला करते हैं। वे 2005 से पहले के RJD शासनकाल को 'जंगलराज' कहते हैं। तेजस्वी यादव पर भी इसी तरह के तंज कसे जाते हैं। माना जा रहा है कि RJD ने जानबूझकर लालू-राबड़ी की तस्वीरें पोस्टरों से हटाई हैं। पार्टी जनता को यह दिखाना चाहती है कि तेजस्वी के नेतृत्व में RJD बदली हुई पार्टी है। पार्टी अब नए तेवर और नई सोच के साथ आगे बढ़ रही है।
यही कारण है कि तेजस्वी यादव ने अपनी राजनीति में नयापन लाया है। वे अब एक तेज-तर्रार नेता के रूप में जाने जाते हैं। RJD इस चुनाव में 'ब्रांड तेजस्वी' बनाने पर जोर दे रही है। पार्टी को लगता है कि युवा चेहरे तेजस्वी के जरिए जनता को अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है। तेजस्वी यादव चुनाव से पहले 'कार्यकर्ता संवाद यात्रा' भी कर रहे हैं। इस यात्रा के दौरान वे कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद कर रहे हैं। उनसे फीडबैक ले रहे हैं। इस फीडबैक के आधार पर चुनाव में उम्मीदवारों का चयन भी किया जा सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि RJD 'ब्रांड तेजस्वी' के जरिए यह दिखाना चाहती है कि तेजस्वी अब पार्टी की कमान संभालने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। दरअसल, साल 2020 के विधानसभा चुनाव में भी कुछ ऐसे पोस्टर लगे थे, जिनमें सिर्फ तेजस्वी यादव की तस्वीर थी। लालू-राबड़ी की तस्वीरें उन पोस्टरों में भी नहीं थीं। हालांकि RJD उस चुनाव में सरकार नहीं बना पाई थी, लेकिन माना जाता है कि इस रणनीति से पार्टी को फायदा हुआ था। RJD सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। तेजस्वी यादव खुद कहते रहे हैं कि अब RJD सिर्फ 'MY' (मुस्लिम-यादव) की पार्टी नहीं है। यह 'A to Z' की पार्टी है। अब यह 2005 से पहले वाली RJD नहीं रही। देखना होगा कि RJD की इस नई रणनीति का चुनाव पर क्या असर पड़ता है। इसका पता तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही चलेगा।
RJD के पोस्टरों से लालू यादव की गायब तस्वीरें कई सवाल खड़े करती हैं। क्या यह वाकई पार्टी की नई रणनीति है? या फिर पार्टी लालू यादव से दूरी बनाना चाहती है? क्या तेजस्वी यादव, लालू यादव की विरासत से अलग अपनी पहचान बनाना चाहते हैं? इन सवालों के जवाब समय के साथ ही मिलेंगे। लेकिन इतना तय है कि बिहार की राजनीति में RJD का यह कदम काफी अहम है। इसका असर आने वाले चुनाव पर जरूर पड़ेगा।