बिहार में जमीन सर्वे के लिए कागजात तैयार करवाना लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। हालांकि विशेष भूमि सर्वेक्षण का समय तीन महीने बढ़ा दिया गया है, लेकिन भू-स्वामियों को अब भी कागजात हासिल करने के लिए घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ रहा है। आवेदकों का आरोप है कि सिर्फ रिश्वत देने वालों को ही जल्दी काम हो रहा है, बाकी लोग परेशान हो रहे हैं।

भूमि सर्वेक्षण के तहत लोगों को अपने जमीन के कागजात, खासकर खतियान की सत्यापित प्रति, सरकारी दफ्तरों से हासिल करनी होती है। इसके लिए पहले से ही लंबी लाइनें लग रही थीं, लेकिन अब हालात और भी बदतर हो गए हैं। कई बार तो दिन भर लाइन में लगने के बाद भी लोगों को उनके कागजात नहीं मिल पाते हैं।

अधिकतर मामलों में आवेदक जब काउंटर पर पहुंचते हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि उनके कागजात की सत्यापित प्रति तैयार नहीं है। जबकि नियम के मुताबिक, आवेदन करने के एक हफ्ते के अंदर आवेदकों को उनके कागजात की प्रति मिल जानी चाहिए।

आवेदकों का आरोप है कि जो लोग रिश्वत देते हैं, उन्हें तीन से चार दिन में खतियान मिल जा रहा है, जबकि जो नहीं दे पाते हैं, उन्हें नियम कानून का पाठ पढ़ाया जाता है और बारी का इंतजार करने को कहा जाता है। उनकी शिकायतों पर ना तो अधिकारी ध्यान देते हैं और ना ही कर्मचारी।

रोहतास के बुजुर्ग आवेदक भानु प्रकाश ने बताया कि अभी तो चार सितंबर का खतियान देने की बात बाबू कर रहे हैं। उसमें मेरा तैयार है कि नहीं काउंटर पर जाने के बाद ही मालूम होगा। एक अन्य आवेदक रामप्रवेश ने बताया कि भूमि सर्वेक्षण तो अच्छी पहल है, लेकिन कुव्यवस्था के कारण यह परेशानियों का सबब बन गया है।