25 रुपये नहीं... ₹300 किलो है ये आलू, फायदे जान आभ भी कहेंगे कड़क आइटम है बॉस

सीतामढ़ी जिले के किसान काले आलू की खेती में सफल हो रहे हैं। यह आलू एंथोसाइनिन्स, एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन सी और फाइबर से भरपूर होता है। इसके औषधीय गुण हृदय और पाचन स्वास्थ्य में मदद करते हैं।

सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी के किसान अब काले आलू की खेती कर रहे हैं। काले गेहूं और चावल के बाद, वे औषधीय गुणों से भरपूर इस आलू को उगा रहे हैं। यह आलू 200 से 300 रुपये किलो तक बिकता है। किसान नई तकनीक और वैज्ञानिक तरीकों से खेती करके अच्छी कमाई कर रहे हैं। वे साबित कर रहे हैं कि खेती घाटे का सौदा नहीं है। डुमरा प्रखंड के भोला बिहारी जैसे किसान काले आलू की खेती कर रहे हैं। उनका कहना है कि काला आलू सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है।

दरअसल, जागरूक किसान खेती में नए-नए प्रयोग करते रहते हैं। सीतामढ़ी जिले के कुछ किसान काले गेहूं और चावल के बाद अब काले आलू की खेती कर रहे हैं। यह आलू बहुत कम जिलों में उगाया जाता है। डुमरा प्रखंड के भूपभैरो पैक्स अध्यक्ष भोला बिहारी भी काले आलू की खेती कर रहे हैं।

भोला बिहारी बताते हैं कि काला आलू एंथोसाइनिन्स, एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन सी और फाइबर से भरपूर होता है। इसका मतलब है कि यह आलू दिल को स्वस्थ रखने, सूजन को कम करने और कैंसर से बचाने में मदद करता है.

उन्होंने यह भी बताया कि काला आलू फाइबर से भरपूर होता है। इसलिए यह पाचन को सुधारने और ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में भी मदद करता है। औषधीय गुणों के कारण ही उन्होंने इसे ट्रायल के तौर पर लगाया है।

भोला बिहारी ने बताया कि उन्होंने इसका बीज गया जिले के एक किसान से लिया था। उन्होंने पहले लाल आलू की खेती की थी। उसी खेत में दो धुर में काला आलू लगाया था। जिसमें लगभग 60 किलो आलू की पैदावार हुई। वे कहते हैं कि आमतौर पर किसान सफेद आलू की खेती करते हैं, लेकिन काला आलू किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प बन सकता है, क्योंकि इससे अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

किसान भोला बिहारी का मानना है कि काले आलू की खेती से सफेद आलू की तुलना में तीन से चार गुना अधिक कमाई हो सकती है। बाजार में काला आलू 200-300 रुपये प्रति किलो तक बिकता है, जबकि साधारण आलू की कीमत 25-30 रुपये प्रति किलो है।

काले आलू की खेती के लिए दोमट और बलुई मिट्टी सबसे अच्छी होती है। इसमें पहले तीन से चार बार गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बनाया जाता है। इसकी बुवाई का सही समय 15 से 25 सितंबर के बीच होता है। भारत में काले आलू की खेती ज्यादातर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और कुछ उत्तरी राज्यों के ठंडे और पहाड़ी इलाकों में होती है।

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