प्रशांत किशोर ने गंगा नहाकर तोड़ा अनशन, अब नीतीश कुमार के खिलाफ नई लड़ाई; युवाओं को ट्रेनिंग भी देंगे
Prashant Kishor News: जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने 14 दिन बाद बीपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग पर अपना आमरण अनशन समाप्त किया। पीके ने कहा कि अगर उच्च न्यायालय से न्याय नहीं मिला, तो वे उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
पटना: जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर 14 दिनों का अपना अनशन बुधवार को समाप्त कर दिया। यह परीक्षा 13 दिसंबर को आयोजित की गई थी और पेपर लीक होने के आरोप लगे थे। पीके ने अपना अनशन खत्म तो कर दिया, लेकिन राज्य सरकार के रवैये के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने की बात कही।
पूर्व राजनीतिक रणनीतिकार किशोर ने कहा कि बीपीएससी अभ्यर्थियों और राज्य के युवाओं के प्रति राज्य सरकार के 'अधिनायकवादी' रवैये के खिलाफ उनका 'सत्याग्रह' जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि 13 दिसंबर को आयोजित बीपीएससी की 70वीं सीसीई परीक्षा को रद्द करने की मांग करने वाले मामले की आज (गुरुवार) पटना उच्च न्यायालय में सुनवाई हो रही है। इस दौरान पीके ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उच्च न्यायालय से अभ्यर्थियों को न्याय मिलेगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे उच्चतम न्यायालय भी जाएंगे।
बता दें कि गंगा नदी में डुबकी लगाने और पूजा करने के बाद पीके ने पार्टी के कैंप कार्यालय में अपना अनशन तोड़ा। पार्टी कार्यकर्ताओं ने उन्हें फलों का रस पिलाया। इस दौरान पीके ने कहा कि उनका 'सत्याग्रह' पार्टी कार्यालय से जारी रहेगा, जिसे वे 'बिहार सत्याग्रह आश्रम' कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब मेरा सत्याग्रह यहां जनसुराज पार्टी कार्यालय से जारी रहेगा। इस आश्रम में वे 11 मार्च तक कम से कम एक लाख छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षित करेंगे। ये प्रशिक्षित युवा समाज के कमजोर वर्गों और युवाओं के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ जागरूकता फैलाएँगे।
प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज और पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए पीके ने कहा कि उनकी पार्टी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक रिट दायर करेगी और मानवाधिकार आयोग भी जाएगी। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्यपाल और मुख्य सचिव ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की, लेकिन मुख्यमंत्री ने नहीं। उन्होंने कहा कि हमारा सत्याग्रह नीतीश कुमार सरकार के तानाशाही रवैये के खिलाफ भी जारी रहेगा, जिसने अभ्यर्थियों की मांगों पर अब तक एक भी शब्द नहीं कहा।
पीके ने सीएम नीतीश के मानसिक स्वास्थ्य पर भी सवाल उठाए और कहा कि अगर लोग इस बारे में बात कर रहे हैं, तो इस पर बुलेटिन जारी किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार के राज्यपाल और मुख्य सचिव ने प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों से मुलाकात की लेकिन मुख्यमंत्री ने कभी उनसे मिलने की जहमत नहीं उठाई। यह उनके अहंकार या असंवेदनशीलता को दर्शाता है या फिर वह उनकी समस्याओं का निदान करने में सक्षम नहीं हैं। और आगे कहा कि लोग मुख्यमंत्री के मानसिक स्वास्थ्य की चर्चा कर रहे हैं। मैं उनके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में कुछ नहीं जानता लेकिन अगर लोग इसके बारे में बात कर रहे हैं, तो इसको लेकर बुलेटिन जारी किया जाना चाहिए। आखिरकार वह (नीतीश) राज्य के मुखिया हैं।