बिहार में नेपाल से आ रही बाढ़ के पानी ने तबाही मचा दी है, जिससे दरभंगा और पूर्वी चंपारण के इलाके सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं। दरभंगा में, तिकेश्वरस्थान के शिक्षक अपनी जान जोखिम में डालकर बाढ़ के पानी से होकर स्कूल पहुंच रहे हैं ताकि मूल्यांकन का काम पूरा हो सके। वहीं, पूर्वी चंपारण में चक्रवाती तूफान के बाद हुई भारी बारिश और नेपाल से आ रही बाढ़ ने हालात बदतर बना दिए हैं। सुगौली थाने में बाढ़ का पानी घुस गया है और कई इलाके जलमग्न हो गए हैं, जिससे लोग घर बार छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर हैं।

नेपाल में भारी बारिश के कारण दरभंगा में आई बाढ़ से हालात बेहद खराब हो गए हैं। जमालपुर प्रखंड के भूभौल गांव में कोसी नदी का तटबंध टूटने से कई गांव पानी में डूब गए हैं। इस मुश्किल घड़ी में भी तिकेश्वरस्थान थाना क्षेत्र के प्राथमिक स्कूलों के शिक्षक अपनी ड्यूटी के प्रति समर्पित दिख रहे हैं। वे अपनी जान जोखिम में डालकर बाढ़ के पानी में चलकर, मूल्यांकन की काॉपियां लेकर स्कूल पहुंच रहे हैं।

शिक्षकों को सिर पर मूल्यांकन की कॉपियां, हाथों में चप्पल और कंधे पर बैग टांगे हुए देखा जा सकता है। इस तस्वीर को देखकर साफ पता चलता है कि शिक्षकों के मन में विभागीय अधिकारियों का कितना खौफ है। कमर तक पानी होने के बावजूद, वे बिना किसी हिचकिचाहट के मूल्यांकन का काम पूरा करने के लिए जा रहे हैं। स्थिति इतनी भयावह है कि स्कूल जाने से पहले उन्हें यह भी नहीं पता होता कि स्कूल भवन में बैठने की जगह सुरक्षित है या नहीं।

इधर, पूर्वी चंपारण में भी स्थिति काफी गंभीर है। चक्रवाती तूफान के बाद हुई भारी बारिश ने पहले ही काफी तबाही मचाई थी और अब नेपाल से आ रही बाढ़ ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। सुगौली थाने में बाढ़ का पानी घुसने से लोगों में दहशत फैल गई है। कई मोहल्लों में पानी तेजी से घुस रहा है, जिससे लोग अपने घरों में फंस गए हैं।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रभावित इलाकों के लोग 28 तारीख को काठमांडू जाने वाली सड़क के किनारे शरण ले रहे हैं। यहां उन्होंने तंबू लगाकर रहना शुरू कर दिया है और अपनी जिंदगी बिताने को मजबूर हैं। हालांकि, जिला प्रशासन ने बाढ़ से निपटने के लिए राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है और उन्हें जरूरी सहायता प्रदान की जा रही है।