Cyber Security: डिजिटल युग में सतर्कता ही सुरक्षा है, भोपाल में छात्रों को सिखाए गए बचने के गुर
Bhopal News Today: भोपाल के एक्सटॉल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम का आयोजन मध्यप्रदेश पुलिस और साथिया वेलफेयर सोसायटी ने किया।
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भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एक्सटॉल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में साइबर सुरक्षा पर जागरूकता कार्यक्रम हुआ। मध्य प्रदेश पुलिस और साथिया वेलफेयर सोसायटी ने मिलकर इसे आयोजित किया। कार्यक्रम का मकसद छात्रों और शिक्षकों को साइबर क्राइम से बचाना था। उन्हें डिजिटल सुरक्षा के बारे में बताया गया। पुलिस अधिकारी और साइबर विशेषज्ञों ने कार्यक्रम में डिजिटल सुरक्षा के गुर सिखाए।
दरअसल, मध्य प्रदेश पुलिस की सामुदायिक पुलिसिंग ब्रांच के 'सेफ क्लिक अभियान' के तहत यह कार्यक्रम जहांगीराबाद स्थित एक्सटॉल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में हुआ। साथिया वेलफेयर सोसायटी ने इसमें सहयोग किया। एसीपी सुरभि मीणा, थाना प्रभारी आशुतोष उपाध्याय, साइबर विशेषज्ञ लक्ष्मण राय, साथिया वेलफेयर सोसायटी की अध्यक्ष स्मृति, एक्सटॉल इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल डॉ शक्ति दुबे और अन्य अधिकारी मौजूद रहे। कार्यक्रम में साइबर अपराधों से बचाव के तरीके बताए गए। डिजिटल सुरक्षा के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई।
एसीपी सुरभि मीणा ने कहा कि साइबर अपराधों से बचाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण हथियार जागरूकता है। उन्होंने आगे बताया कि अगर लोग डिजिटल माध्यमों का सही तरीके से उपयोग करें और सतर्क रहें, तो साइबर ठगी का शिकार होने की संभावना बेहद कम हो जाएगी। मतलब साफ है कि अग अगर हम ध्यान रखें, तो ऑनलाइन ठगी से बच सकते हैं।
थाना प्रभारी आशुतोष उपाध्याय ने लालच को साइबर अपराध की जड़ बताया। उन्होंने कहा कि अधिकतर साइबर अपराध लालच के कारण ही होते हैं। मुफ्त उपहार, लॉटरी, कैशबैक, नौकरी और बैंक से जुड़े झूठे कॉल का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि इन सब में लालच ही मुख्य कारण होता है। अगर हम लालच में ना आएं, तो साइबर अपराध से बच सकते हैं। उन्होंने छात्रों से अपील की कि अनजान लोगों से ऑनलाइन बातचीत ना करें, अनजान लिंक पर क्लिक ना करें, और बैंक की जानकारी किसी को ना दें।
साथिया वेलफेयर सोसायटी की अध्यक्ष स्मृति ने कहा कि विभिन्न मुद्दों पर समाज को जागरुक करने में पुलिस और स्वयंसेवी संस्थाओं की अहम भूमिका है। सामुदायिक पुलिसिंग एक प्रयास है कि पुलिस का आम लोगों के साथ जुड़ाव हो सकें और मध्यप्रदेश पुलिस की इस पहल में साथिया वेलफेयर सोसायटी सक्रियता से अपनी भागीदारी निभा रही है। जहांगीराबाद थाना के साइबर एक्सपर्ट लक्ष्मण राय ने डिजिटल अरेस्ट पर विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई प्रक्रिया नहीं है। पुलिस के पास किसी व्यक्ति को डिजिटल माध्यमों से अरेस्ट करने का कोई अधिकार नहीं है। यदि किसी को इस तरह की कोई धमकी मिलती है, तो उसे तुरंत पुलिस या साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत करनी चाहिए।
वहीं, लक्ष्मण राय ने फिशिंग, बैंकिंग फ्रॉड, सोशल मीडिया हैकिंग, डिजिटल पेमेंट फ्रॉड और मोबाइल मैलवेयर के बारे में भी बताया। फिशिंग मतलब झूठी वेबसाइट या ईमेल से आपकी जानकारी चुराना। बैंकिंग फ्रॉड मतलब बैंक से जुड़ी धोखाधड़ी। सोशल मीडिया हैकिंग मतलब आपका सोशल मीडिया अकाउंट हैक कर लेना। डिजिटल पेमेंट फ्रॉड मतलब ऑनलाइन पेमेंट में धोखाधड़ी। मोबाइल मैलवेयर मतलब आपके फोन में वायरस डालकर जानकारी चुराना।
उन्होंने इनसे बचने के लिए उन्होंने 2FA यानी टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करने की सलाह दी। इससे आपका ऑनलाइन अकाउंट सुरक्षित रहता है। अगर आप साइबर क्राइम का शिकार हो जाते हैं, तो 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें। एसीपी सुरभि मीणा ने साथिया वेलफेयर सोसायटी की तारीफ की। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से लोग साइबर क्राइम के बारे में जानेंगे और सुरक्षित रहेंगे।