चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर हैं। दोनों ही दल चुनावी रणनीति के हिसाब से सियासी गोटी सेट करने लगे हैं। इस बीच हरियाणा में एक बड़े खेल के संकेत मिल रहे हैं। हरियाणा कांग्रेस की कद्दावर नेत्री और महासचिव कुमारी सैलजा चुनाव से पहले पाला बदल सकती हैं। इसके संकेत मिलने शुरू हो गए हैं। हरियाणा कांग्रेस की टॉप लीडरशीप में अनबन की खबरें भी जोरों पर हैं। साथ ही पार्टी के मुख्य कार्यक्रमों से कुमारी सैलजा दूर दिख रही हैं। वहीं, भाजपा की तरफ से केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें ऑफर दे दिया है।


क्या बिगड़ रहे हैं कांग्रेस के गणित

दरअसल, हरियाणा में बीते 10 सालों से भाजपा की सरकार है। किसान आंदोलन और अग्निवीर को लेकर हरियाणा में सबसे अधिक नाराजगी है। ऐसे में कांग्रेस ने भूनाने के लिए कुछ पहलवानों को अपने पाले में लाई है। लेकिन टॉप लेवल की लीडरशिप गुटबाजी से जूझ रही है। हुड्डा और सैलजा गुट अलग-अलग हैं। इसकी वजह से अन्य राज्यों की तरफ पार्टी को यहां खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। अनदेखी की वजह से कांग्रेस की चुनावी सीन से कुमारी सैलजा पूरी तरह से गायब हैं। टिकट बंटवारे में भी कुमारी सैलजा की एक नहीं चली है। अभी तक के प्रकरण पर उन्होंने पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है।

बीजेपी में जाने की अटकलें

कांग्रेस में अनदेखी की शिकार कुमारी सैलजा को लेकर अटकलें हैं कि वह बीजेपी में शामिल हो सकती हैं। इसे लेकर करनाल में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से सवाल किया गया है तो उन्होंने कहा कि वह बीजेपी में कब शामिल होंगे, इसका जवाब वहीं दे सकती हैं। मैंने सुना है कि उनके साथ बहुत खराब व्यवहार हुआ है। ऐसे में कोई स्वाभिमानी व्यक्ति खुद ही फैसला ले सकता है।

दलित वोटों का होगा नुकसान

हरियाणा में कुमारी सैलजा कांग्रेस के अंदर दलितों का सबसे बड़ा चेहरा हैं। उनके किनारे होना से कांग्रेस को बड़ा डेंट लगेगा। साथ ही दलित वोटरों के छिंटकने का डर भी रहेगा। बीजेपी की रणनीति भी वहां है कि कांग्रेस से इंटैक्ट दलित वोटों में सेंधमारी की जाए। बताया जाता है कि टिकट बंटवारे में सिर्फ हुड्डा गैंग के लोगों को ही तवज्जो मिला है। ऐसे में बीजेपी ने इसे स्वाभिमान से जोड़ दिया है।

वहीं, कुमारी सैलजा की खामोशी के कांग्रेस के अंदर भी हलचल बढ़ गई है। हरियाणा की सियासी गलियारों में चर्चा है कि यह खामोशी तूफान आने के पहले की आहट है। हालांकि कांग्रेस के लेवल पर उन्हें मनाने की कोशिश जरूर जारी है। सियासी जानकारों का कहना है कि कुमारी सैलजा को समय रहते नहीं मनाया गया है तो पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है।