Bihar News: नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने मंगलवार को बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। JDU ने तेजस्वी यादव पर आय घोषणा में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की है। JDU के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस संबंध में राज्य के मुख्य निर्वाचन आयुक्त को एक ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में JDU ने तेजस्वी यादव पर लोक प्रतिनिधित्व कानून -1951 की धारा 123 (2) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है। JDU का कहना है कि तेजस्वी यादव ने 2015 और 2020 के चुनावी हलफनामों में अपनी आय के बारे में गलत जानकारी दी है। JDU ने अपने ज्ञापन में कहा है कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वारा लोक प्रतिनिधित्व कानून -1951 की धारा 123 (2) के तहत इनकम घोटाला किया गया है। यह उनके हलफनामा से स्पष्ट है। इस मामले का अतिशीघ्र संज्ञान लिया जाए। चुनाव आयोग ने JDU के शिष्टमंडल को मामले को देखने का आश्वासन दिया है।

JDU ने तेजस्वी यादव के 2015 और 2020 के चुनावी हलफनामों का हवाला देते हुए कहा है कि 2014-15 में तेजस्वी यादव की वास्तविक आय 5.8 लाख रुपये थी, जो 2020 में बढ़कर 39 लाख, 80 हजार रुपये हो गई। यह 2014-15 की तुलना में आठ गुना अधिक है।JDU ने यह भी कहा है कि तेजस्वी यादव ने 2015 से 2020 के बीच अपनी आय 89 लाख, 75 हजार रुपये बताई है, जबकि इसी दौरान उन्होंने दूसरे लोगों को कर्ज के रूप में 4.10 करोड़ रुपये दिए हैं। JDU का कहना है कि यह स्पष्ट रूप से उनकी घोषित आय से मेल नहीं खाता है।

इस बीच, JDU के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने भी तेजस्वी यादव पर निशाना साधा है। उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि राजनीतिक बौखलाहट में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अनर्गल बयान देने को अभ्यस्त हो चुके हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर तेजस्वी यादव ने जो ट्ववीट किया है उसमें निम्नस्तरीय भाषा का प्रयोग यह प्रदर्शित करता है कि किस तरह से उनकी राजनीतिक परवरिश हुई है। मर्यादा के विपरीत राजनीति करना राजद की पुरानी शैली है। नेता प्रतिपक्ष उसी परंपरा को अब आगे बढ़ा रहे हैं।

उमेश कुशवाहा ने आगे कहा कि नीतीश कुमार सरकार की उपलब्धियों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए विपक्ष व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप पर उतर आया है। उन्होंने कहा कि अगर 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की कृपा नहीं होती तो राजद का आज राजनीतिक अस्तित्व नहीं बचता। यह नीतीश कुमार की ही देन है कि तेजस्वी यादव को राजनीतिक पहचान हासिल हुई है, इसलिए उन्हें किसी भी तरह का अनर्गल बयान देने से पहले नीतीश कुमार के राजनीतिक उपकार को जरूर याद करना चाहिए।