रसूखदारों के इलाके में पूर्व सिपाही की कोठी, नौकरी छोड़ने के बाद भी घर में नोटों का ढेर और गहने

Bhopal Lokayukata Raids At Constable House: भोपाल में लोकायुक्त ने परिवहन विभाग के पूर्व कॉन्स्टेबल के घर छापेमारी की है। कहा जा रहा है कि लाखों रुपए कैश छापेमारी मिले हैं। साथ ही 35 किलो चांदी मिलने की बात सामने आ रही है। लोकायुक्त की कार्रवाई अभी चल रही है। बताया जा रहा है कि करोड़ों रुपए की संपत्ति का खुलासा हो सकता है।

भोपाल: पूर्व आरटीओ कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के घर लोकायुक्त की रेड पड़ी। गुरुवार सुबह उनके अरेरा कॉलोनी वाले घर से लाखों रुपए कैश, सोने-चांदी की जूलरी और प्रॉपर्टी के कागजात मिले। शर्मा पर ट्रांसपोर्ट नाको पर पोस्टिंग के लिए दलाली का आरोप है। मामले में उनके एक दोस्त पर भी कार्रवाई हुई है। शर्मा अभी दुबई में हैं। घर पर उनकी मां और नौकर मौजूद थे। शर्मा ने 12 साल की नौकरी में करोड़ों की संपत्ति बनाई है। लोकायुक्त को उनके होटल और स्कूल में निवेश के सबूत मिले हैं।

भोपाल के अरेरा कॉलोनी में रहने वाले पूर्व आरटीओ कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के घर गुरुवार सुबह लोकायुक्त पुलिस ने छापा मारा। 11 नंबर डिवाइन स्कूल के सामने स्थित उनके घर से लाखों नगद, सोने-चांदी की जूलरी और कई प्रॉपर्टी के दस्तावेज बरामद हुए थे।

मिली जानकारी के अनुसार सौरभ शर्मा RTO में कॉन्स्टेबल था। एक साल पहले वह VRS ले लिया था। अब वो रियल एस्टेट का काम करता है। उसके एक होटल पर भी रेड की गई है।

इस मामले में सौरभ के एक दोस्त पर भी कार्रवाई की गई है। दोनों पर परिवहन नाकों पर तैनाती के लिए दलाली करने का आरोप है। बताया जा रहा है कि सौरभ ने सिर्फ 12 साल की नौकरी में करोड़ों रुपए की संपत्ति बना ली है।

सौरभ शर्मा VRS लेने से पहले ही रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़ गए थे। उनके कई रसूखदार लोगों से अच्छे संबंध थे। शायद इसीलिए उन्होंने VRS लेकर बिल्डर बनने का फैसला किया। लोकायुक्त को भोपाल सहित कई जिलों में उनकी संपत्तियों के सबूत मिले हैं। अब तक की जांच में उनके एक होटल और एक स्कूल में निवेश की जानकारी मिली है।

सौरभ को अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। उनके पिता पहले परिवहन विभाग में काम करते थे। ग्वालियर के रहने वाले सौरभ साधारण परिवार से थे। कुछ ही सालों की नौकरी में उनका रहन-सहन बदल गया था। इसकी शिकायतें विभाग और दूसरी जगहों पर भी की गई थीं। इसी वजह से सौरभ ने VRS लेने का फैसला किया। उसके बाद वो भोपाल के कई बड़े बिल्डरों के साथ प्रॉपर्टी में निवेश करने लगे।

हालांकि कैश को लेकर अलग-अलग चर्चाएं हैं। लोकायुक्त की तरफ से आधिकारिक जानकारी कैश को लेकर अभी नहीं दी गई है।

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