पटना: बिहार में एक बार फिर से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सत्तारूढ़ गठबंधन के दो प्रमुख दल, बीजेपी और जेडीयू के बीच दूरियां साफ दिखाई देने लगी हैं, जिससे राज्य में सियासी भूचाल के कयास लगाए जा रहे हैं। बीजेपी और जेडीयू नेताओं की एक-दूसरे के कार्यक्रमों से दूरी और सरकारी बैठकों में अनुपस्थिति ने इन अटकलों को और हवा दी है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर जल्द ही इस खींचतान का समाधान नहीं निकला, तो बिहार में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन देखने को मिल सकता है। विपक्षी दल आरजेडी ने भी इस मौके का फायदा उठाना शुरू कर दिया है और बीजेपी-जेडीयू गठबंधन पर हमलावर रुख अख्तियार कर लिया है।

दूर-दूर रह रहे जेडीयू और बीजेपी के नेता

हाल के दिनों में कई ऐसे मौके आए हैं जब बीजेपी और जेडीयू के नेता एक-दूसरे से दूरी बनाते नजर आए हैं। 19 सितंबर को पटना के बापू सभागार में आयोजित कचरा प्रबंधन कार्यक्रम इसका जीता-जागता उदाहरण है। इस सरकारी कार्यक्रम में राज्यपाल विश्वनाथ आर्लेकर, विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री विजय सिंन्हा, नगर विकास मंत्री नितिन नवीन और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद मौजूद रहे, लेकिन जेडीयू का एक भी नेता इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ। यहां तक कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जिनकी इस कार्यक्रम में मौजूदगी जरूरी मानी जा रही थी, वे भी नदारद रहे।

इसी तरह बिहटा एयरपोर्ट के निर्माण को लेकर भी बीजेपी और जेडीयू नेताओं के बीच क्रेडिट लेने की होड़ देखने को मिली। एक तरफ उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने प्रेस रिलीज जारी कर इसका श्रेय अपनी पार्टी को दिया, तो वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अकेले ही कार्य स्थल का दौरा कर बिहटा एयरपोर्ट निर्माण का क्रेडिट लेने की कोशिश की।

बढ़ती जा रही नेताओं की दूरी

बीजेपी और जेडीयू नेताओं के बीच बढ़ती दूरी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा राज्य में प्रस्तावित और निर्माणाधीन 4 एक्सप्रेस वे को लेकर बुलाई गई हाई लेवल बैठक में उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा और विभाग के मंत्री नदारद रहे। यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए इन परियोजनाओं को जल्द से जल्द पूरा कराना चाहते हैं।

नवादा अग्निकांड के बाद कानून व्यवस्था को लेकर बुलाई गई मुख्यमंत्री की बैठक में भी बीजेपी कोटे के मंत्रियों और पुलिस के आलाधिकारियों की अनुपस्थिति ने सबको चौंका दिया। आमतौर पर ऐसी बैठकों में मुख्यमंत्री के साथ-साथ उपमुख्यमंत्री भी मौजूद रहते हैं, लेकिन इस बैठक में न तो सम्राट चौधरी नजर आए और न ही विजय सिन्हा। इतना ही नहीं, 21 सितंबर को पर्यटन विभाग की योजनाओं की समीक्षा बैठक में भी पर्यटन मंत्री और बीजेपी नेता नीतीश मिश्रा नदारद रहे। यह अपने आप में हैरान करने वाली बात है कि एक मंत्री अपने ही विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री के सामने उपस्थित नहीं हुए।

अब चौका मारना चाहती है आरजेडी

बीजेपी और जेडीयू के बीच बढ़ती दूरियों को लेकर आरजेडी ने भी अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव जहां एक तरफ नीतीश कुमार पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं पार्टी प्रवक्ता शक्ति यादव ने भी पाला बदलने के संकेत देना शुरू कर दिए हैं। शनिवा देर शाम एक पुल के स्‍पैन गिरने की घटना पर बयान देते हुए उन्होंने बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि नीतीश कुमार 'बेमेल गठबंधन' में हैं।

वहीं, राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर बीजेपी और जेडीयू नेताओं के बीच जल्द ही मतभेद दूर नहीं हुए, तो बिहार में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन हो सकता है। देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति क्या रुख अख्तियार करती है।