राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में रविवार ( 29 सितंबर ) को कैबिनेट की बैठक हुई। बैठक में राज्य में रोजगार, निवेश, ऊर्जा और कर्मचारी कल्याण से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए। सरकार जल्द ही 60 हजार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती करेगी। 5708 मेगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए भूमि आवंटन को भी मंजूरी दी गई। रोजगार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए 'राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2024' (RIPS-2024) को मंजूरी दी गई।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी और संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने दी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार बजट में की गई घोषणाओं को तेजी से पूरा करने की दिशा में काम कर रही है। युवाओं को रोजगार देना सरकार की प्राथमिकता है।

इस दिशा में सरकार ने 23,820 सफाई कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है। जल्द ही 60 हजार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती भी की जाएगी। बैठक में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए 'राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2024' (RIPS-2024) को मंजूरी दी गई। इसके अलावा, कर्मचारी कल्याण, पत्रकार कल्याण, सौर ऊर्जा और राज्य के विकास से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसले भी लिए गए।

उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी और संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि सरकार 9 से 11 दिसंबर तक होने वाले 'राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट' में अधिक से अधिक निवेश आकर्षित करना चाहती है। इसी उद्देश्य से RIPS-2024 को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि RIPS-2024 निवेशकों के लिए रियायतों के लिहाज से देश की सबसे आकर्षक निवेश प्रोत्साहन योजना है।

सरकार ने चतुर्थ श्रेणी और वाहन चालक पदों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को बढ़ाकर 10वीं पास कर दिया है। पहले इन पदों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 5वीं और 8वीं पास थी। अब इन पदों पर भर्ती लिखित परीक्षा के माध्यम से की जाएगी। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि भर्तियों में पारदर्शिता और एकरूपता लाने के लिए चतुर्थ श्रेणी सेवा और समकक्ष पदों की शैक्षणिक योग्यता 5वीं और 8वीं कक्षा उत्तीर्ण से बढ़ाकर 10 वीं करने का निर्णय लिया गया है। साथ ही ये भर्तियां साक्षात्कार से कराने के बजाय राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा लिखित परीक्षा के माध्यम से कराने का निर्णय लिया गया है।

पटेल ने बताया कि इसी तरह वाहन चालक के पद पर भर्ती के लिए भी न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 8वीं पास से बढ़ाकर 10वीं पास कर दी गई है। इसके अलावा, अलग-अलग सेवा नियमों में वाहन चालक के पदनामों में एकरूपता लाते हुए एक ही पदनाम 'वाहन चालक' करने का फैसला किया गया है। वाहन चालक के पदों पर भर्ती भी राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा लिखित परीक्षा के माध्यम से की जाएगी।

उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने बताया कि वाहन चालक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के संबंध में लिया गया यह फैसला इस साल 1 लाख सरकारी नौकरियां देने के राज्य सरकार के संकल्प को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। वर्तमान में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के लगभग 60 हजार पद रिक्त हैं, जिन पर भविष्य में भर्ती की जाएगी। सरकार द्वारा स्थानीय निकायों के माध्यम से 23 हजार 820 सफाई कर्मचारियों की भर्ती की विज्ञप्ति भी जारी की गई है।

चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती के दौरान आवेदन पत्र अत्यधिक मात्रा में प्राप्त होते थे और स्नातक, स्नातकोत्तर, एलएलबी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों द्वारा भी आवेदन किया जाता था। साक्षात्कार के माध्यम से चयन किए जाने के कारण विभागों को इन भर्तियों में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इन कारणों से कई वर्षों से इन पदों पर भर्ती नहीं हो पा रही थी।

कैबिनेट ने मंत्रालयिक सेवा के कार्मिकों के हित में राजस्थान अधीनस्थ कार्यालय मंत्रालयिक सेवा के संस्थापन अधिकारी का वेतनमान राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम, 2017 के तहत पे लेवल एल-15 से बढ़ाकर एल-16 करने की मंजूरी दे दी है।

राजस्थान गवर्नर्स सेक्रेटरिएट (राज्य, अधीनस्थ, मिनिस्ट्रियल एंड क्लास-4) सर्विस रूल्स, 2024 में डीपीसी वर्ष 2024-25 में पदोन्नति हेतु निर्धारित अनुभव में दो वर्ष की छूट की अधिसूचना के प्रावधान नहीं जोड़े जा सके थे, क्योंकि इन सेवा नियमों के अस्तित्व में आने तक अनुभव में छूट की अधिसूचना संबंधी समस्त संशोधन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी। 5 जुलाई, 2024 को जारी अनुभव में छूट की इस अधिसूचना के प्रावधानों को इन सेवा नियमों में शामिल किए जाने की मंजूरी आज मंत्रिमंडल की बैठक में प्रदान की गई।

इसके अलावा, आयुष विभाग के वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्साधिकारी और समकक्ष पद तथा इससे उच्च पदों पर कार्यरत अधिकारियों द्वारा सेवा में रहते हुए पीजी डिग्री प्राप्त करने पर अग्रिम वेतन वृद्धि के लाभ का प्रावधान भी किया गया है।

राज्य सरकार ने नियमों में स्पष्टता और अन्य विभागों से एकरूपता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राजस्थान ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज राज्य एवं अधीनस्थ सेवा नियम-1998 में संशोधन को मंजूरी प्रदान की है। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग में पूर्व में समाप्त पदों सहायक प्रोग्राम अधिकारी, लेखा सहायक, समन्वयक प्रशिक्षण, समन्वयक आईईसी, समन्वयक पर्यवेक्षण, कम्प्यूटर अनुदेशक इत्यादि पदों से संबंधित प्रविष्टियों को इस संशोधन के द्वारा विलोपित किया गया है।

ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग में कनिष्ठ अभियंता के रिक्त पदों को अब लिखित परीक्षा के माध्यम से राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा ओपन कॉम्पिटिशन के आधार पर भरा जा सकेगा। इससे कनिष्ठ अभियंताओं की भर्ती की प्रक्रिया में सभी विभागों में एकरूपता रहेगी।

कैबिनेट ने बजट घोषणा 2024-25 को अमल में लाते हुए राजस्थान प्रेस प्रतिनिधि अधिस्वीकरण नियम-1995 में संशोधन कर स्वतंत्र पत्रकारों के अधिस्वीकरण के लिए न्यूनतम आयु 50 वर्ष से घटाकर 45 वर्ष कर दी है। वहीं, न्यूनतम पत्रकारिता अनुभव 25 वर्ष से घटाकर 15 वर्ष किया गया है।

उपमुख्यमंत्री ने बताया कि रिप्स-2024 में MSME सेक्टर से लेकर नए उभरते हुए क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करने के लिए जरूरी प्रावधान किए गए हैं। साथ ही ग्रीन ग्रोथ, निर्यात संवर्धन और क्षमता विकास जैसी प्राथमिकताओं को भी ध्यान में रखा गया है।

RIPS-2024 में किए गए प्रावधानों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि RIPS-2024 में स्टैंडर्ड सर्विसेज पैकेज के तहत इन्सेन्टिव्स के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा 50 करोड़ रुपये से घटाकर 25 करोड़ रुपये कर दी गई है। पर्यटन इकाइयों के लिए इसे और भी कम करके 10 करोड़ रुपये किया गया है।

नए उभरते हुए क्षेत्रों की सूची का विस्तार करते हुए इसमें एयरो और स्पेस, रक्षा, ड्रोन, सेमीकंडक्टर, एग्री टेक और वेस्ट रिसाइक्लिंग जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया है। एक करोड़ रुपये से कम का पात्र अचल पूंजी निवेश करने वाले MSME उद्यमों को भी RIPS-2024 के दायरे में लाया गया है।

नई यूनिट्स लगाने और पहले से चल रही इकाइयों को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ उन मौजूदा उद्यमों को भी RIPS-2024 के लाभ प्रदान किए जाएंगे, जो हरित विकास में निवेश कर रहे हैं और पहली बार निर्यातक बन रहे हैं।

RIPS के अंतर्गत लगने वाली इकाइयों की परिचालन लागत को कम करने के लिए भूमि और बिजली से संबंधित इन्सेन्टिव्स शुरू किए गए हैं। मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित करने वाले निवेशकों के लिए भूमि लागत के भुगतान का लचीला मॉडल RIPS में शामिल किया गया है, जिसमें भूमि लागत का 25 प्रतिशत अग्रिम भुगतान करने के बाद शेष 75 प्रतिशत राशि 10 किस्तों में 8 प्रतिशत ब्याज के साथ दी जा सकेगी।

ऊर्जा के अधिक उपयोग वाले 8 प्रकार के उद्योगों को विद्युत लागत इन्सेन्टिव्स प्रदान किए जाएंगे। इसमें कैप्टिव रिन्यूएबल एनर्जी संयंत्रों में निवेश पर सब्सिडी के साथ ही अतिरिक्त 5 प्रतिशत एसजीएसटी प्रतिपूर्ति या पीएनजी की वैट दर पर 5 प्रतिशत वैट प्रतिपूर्ति का विकल्प शामिल है।

MSME सेक्टर में युवाओं को अधिक रोजगार प्राप्त होने की संभावनाओं को देखते हुए इनके लिए स्टैण्डर्ड मैन्युफैक्चरिंग पैकेज की तुलना में अधिक अवधि (7 वर्ष) के लिए ब्याज छूट का लाभ दिया जाएगा। इसी तरह खादी, ग्रामीण पर्यटन और कृषि-प्रसंस्करण MSME के लिए अतिरिक्त लाभ दिया जाएगा।

MSME के लिए स्टैण्डर्ड विनिर्माण पैकेज और स्टैण्डर्ड सेवा पैकेज की तुलना में अधिक अवधि (10 वर्ष) के लिए निवेश सब्सिडी का लाभ दिया जाएगा। स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने के लिए महिलाओं द्वारा संचालित स्टार्टअप्स को 2 साल के लिए शत प्रतिशत एसजीएसटी की प्रतिपूर्ति प्रदान की जाएगी।

विशिष्ट निवेशों के लिए राजस्थान की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए 3 हजार करोड़ रुपये से अधिक के निवेशों पर 5 गुना इन्सेन्टिव्स प्रदान किए जाएंगे। इससे अन्य राज्यों की तुलना में प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार हो सकेगा।

राज्य में बिजली उत्पादन बढ़ाने के लिए कैबिनेट ने 5,708 मेगावाट की सौर ऊर्जा और विंड-सोलर हाइब्रिड परियोजनाओं के लिए 10,418 हेक्टेयर भूमि आवंटित करने की मंजूरी दे दी है। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार राजस्थान को एनर्जी सरप्लस स्टेट बनाने और 2027 तक किसानों को दिन में बिजली मुहैया कराने के लिए ठोस कदम उठा रही है। इसी दिशा में विद्युत उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से 5 हजार 708 मेगावाट की सौर ऊर्जा और विंड-सोलर हाइब्रिड परियोजनाओं के लिए 10 हजार 418 हेक्टेयर भूमि आवंटन की स्वीकृतियां कैबिनेट में प्रदान की गईं।

क्रिस्टलाइन टेक्नोलॉजी पर आधारित 2,000 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना जैसलमेर जिले की उपनिवेशन तहसील नाचना-1 के ग्राम बोडान में स्थापित की जाएगी। वहीं, क्रिस्टलाइन टेक्नोलॉजी विद ट्रैकर पर आधारित 1,500 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना जैसलमेर जिले की उपनिवेशन तहसील मोहनगढ़ नं-1 के ग्राम मोहनगढ़ एवं उपनिवेशन तहसील मोहनगढ़ नं-2 के ग्राम पोहड़ में स्थापित की जाएगी।

इसी तरह, 1,100 मेगावाट की एक सौर ऊर्जा परियोजना एवं 108 मेगावाट के विंड-सोलर हाइब्रिड प्रोजेक्ट के लिए जैसलमेर एवं फलोदी जिलों में भूमि आवंटित की स्वीकृति दी गई है। जैसलमेर जिले की तहसील रामगढ़ के ग्राम सियाम्बर में 1,000 मेगावाट की एक सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित की जाएगी।

बिजली वितरण नेटवर्क के विकास के लिए दौसा जिले में लवाण तहसील के ग्राम पूरणबास और डुगरावता में 765/400 केवी उपकेंद्र की स्थापना के लिए पावर ग्रिड ब्यावर दौसा ट्रांसमिशन लिमिटेड को 38.17 हेक्टेयर भूमि के आवंटन का अनुमोदन किया गया है।

प्रदेश में भविष्य की बिजली की मांग को पूरा करने के उद्देश्य से 10 मार्च 2024 को केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के बीच एमओयू हस्ताक्षरित किए गए थे। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए तीन संयुक्त उद्यम कंपनियां बनाने के प्रस्तावों का अनुमोदन किया गया।

लिग्नाइट आधारित परियोजना के लिए एनएलसी इंडिया लिमिटेड और अक्षय ऊर्जा परियोजना के लिए एनएलसी इंडिया रिन्यूएबल लिमिटेड के साथ राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम की संयुक्त उद्यम (JV) कंपनियां बनाई जाएंगी। इनमें एनएलसी इंडिया लिमिटेड और एनएलसी इंडिया रिन्यूएबल लिमिटेड की शेयरधारिता 74 प्रतिशत एवं राज्य विद्युत उत्पादन निगम की शेयरधारिता 26 प्रतिशत रखी गई है।