बिहार के सीतामढ़ी के सदर अस्पताल में बड़ा मामला सामने आया है। 21 अक्टूबर को हुए एक निरीक्षण में 34 डॉक्टरों सहित 107 कर्मी गायब पाए गए। सिविल सर्जन डॉ सुरेश प्रसाद ने यह निरीक्षण किया था। इस लापरवाही के बाद अनुपस्थित कर्मियों का वेतन रोक दिया गया है और उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है।

घटना राज्य के स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के दावे करते हैं, लेकिन यह घटना उनकी बातों को झुठलाती है। सीतामढ़ी सदर अस्पताल की यह घटना बताती है कि स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी खोखली है।

सिविल सर्जन के निरीक्षण में जो तथ्य सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। 34 डॉक्टरों का एक साथ गायब होना गंभीर लापरवाही है। इससे अस्पताल में मरीजों को होने वाली परेशानी का अंदाजा लगाया जा सकता है।

सिविल सर्जन ने गायब डॉक्टरों और कर्मचारियों का वेतन रोकने का आदेश दिया है। साथ ही सभी से दो दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है। यह पहली बार है जब सदर अस्पताल में इतनी बड़ी संख्या में डॉक्टर और कर्मी गायब मिले हैं। इस मामले में अस्पताल के उपाधीक्षक की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। सिविल सर्जन ने खुद उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।

निरीक्षण के दौरान कई और चौंकाने वाली बातें सामने आईं। करीब हजारों जख्म के मामलों की रिपोर्ट लंबित पाई गई। 20-25 पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी लंबित थीं। जख्म और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट हर महीने जिलाधिकारी और सिविल सर्जन को भेजी जाती हैं। लेकिन, पिछले महीने भेजी गई रिपोर्ट में लंबित मामलों का जिक्र तक नहीं था।

इसके लिए फार्मासिस्ट को जिम्मेदार ठहराया गया है। उन्होंने कहा कि फार्मासिस्ट अपने काम के प्रति लापरवाह हैं। उन्होंने उपाधीक्षक से फार्मासिस्ट के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। निरीक्षण के दौरान कुछ मरीजों ने बताया कि अस्पताल में सरकारी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। इस पर उन्होंने अस्पताल की व्यवस्था पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

गायब डॉक्टरों और कर्मचारियों की लिस्ट भी जारी की गई है। इनमें डॉ पुनम कुमारी, डॉ छेदी बैठा, डॉ इंदु कुमारी, डॉ अभिलाषा शेखर, डॉ अमित कुमार, डॉ मोहम्मद रेजा, डॉ संजीव कुमार पाठक, डॉ रवि शेखर, डॉ सौरभ कुमार, डॉ अमित कुमार शर्मा, डॉ राहुल कुमार, डॉ दीपा सिंह, डॉ अमित कुमार झा, डॉ वीरेंद्र कुमार आनंद, डॉ अर्चना कुमारी, डॉ आफताब आलम, डॉ राजीव कुमार, डॉ अनुजा प्रीतम और डॉ शशिभूषण मणि शामिल हैं।

इनके अलावा देव बिहारी शरण, सुजाता कुमारी, वीणा कुमारी, अनामिका कुमारी, सुशीला अग्रवाल, ज्योति कुमारी, कंचन कुमारी, नीतीश कुमारी, विकास कुमारी पांडेय, अवधेश कुमार, रितु कुमारी, कुमारी सुमन, राम कुमार शर्मा, अनवर अली, गीता कुमारी, उमेश पासवान, मोहम्मद शाहिद, मोहम्मद अमजद सहित कई एएनएम, जीएनएम और अन्य कर्मचारी भी गायब थे।