बृज बिहारी हत्याकांड: 22 कमांडो... चारों ओर सुरक्षा घेरा, यूपी के डॉन ने AK-47 से भून दिया था
Brij Bihari Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के मामले में मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को दोषी ठहराया है। दोनों को आजीवन कारावास की सजा मिली है।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बाहुबली नेता और पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को हत्या का दोषी पाया है। दोनों को उम्रकैद की सजा दी गई है। यह मामला 1998 का है, जब पटना के IGIMS अस्पताल में घुसकर बृज बिहारी प्रसाद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पूर्व सांसद सूरज भान सिंह समेत 6 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया है।
यह पूरा मामला बिहार के बाहुबलियों और राजनीति से जुड़ा हुआ है। घटना 13 जून 1998 की है। तब बृज बिहारी प्रसाद राबड़ी देवी सरकार में मंत्री थे। उनकी सुरक्षा में 22 कमांडो तैनात थे। इसके बावजूद पूर्वांचल के डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला ने अपने साथियों के साथ IGIMS अस्पताल में घुसकर AK-47 से गोलियां बरसाईं और बृज बिहारी प्रसाद को मौत के घाट उतार दिया। बृज बिहारी प्रसाद का शरीर गोलियों से छलनी हो गया था। इस हमले में ज्यादातर कमांडो भाग खड़े हुए थे।
इस घटना के पीछे बृज बिहारी प्रसाद और श्रीप्रकाश शुक्ला के बीच पुरानी दुश्मनी बताई जाती है। बृज बिहारी प्रसाद पर श्रीप्रकाश शुक्ला के करीबी छोटन शुक्ला, भुटकुन शुक्ला और देवेंद्र दुबे की हत्या का आरोप था। इसी बदले में श्रीप्रकाश शुक्ला ने बृज बिहारी प्रसाद की हत्या की थी।
बताया जाता है कि श्रीप्रकाश शुक्ला ने इस वारदात को अंजाम देने के लिए दो दिन पहले ही तैयारी कर ली थी। 11 जून को वह गोरखपुर से दिल्ली और फिर दिल्ली से पटना पहुंचा था। पटना पहुंचकर उसने एक अखबार के दफ्तर में जाकर कहा था कि पटना में कुछ बड़ा करने वाले हैं। अखबार में छाप दो।
13 जून की शाम को बृज बिहारी प्रसाद की हत्या करने के बाद श्रीप्रकाश शुक्ला ने सबसे पहले उसी अखबार के दफ्तर में फोन किया और बताया कि मैं अशोक सिंह बोल रहा हूं और बृज बिहारी को इतनी गोलियां मारी है कि पूरा शरीर छेद ही छेद हो गया है।
बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के बाद श्रीप्रकाश शुक्ला एक विधायक के घर पर करीब 203 घंटे तक रुके थे। इस दौरान उन्होंने एक हथियार सप्लायर से मुलाकात भी की थी। बताया जाता है कि बृज बिहारी प्रसाद पर गोलियां चलाने के बाद उनकी AK-47 की मैगजीन खाली हो गई थी। इसलिए उन्होंने हथियार सप्लायर से AK-47 की मैगजीन में दोबारा गोलियां भरवाई थीं।
1998 में बृज बिहारी प्रसाद राबड़ी देवी सरकार में मंत्री थे। मुजफ्फरपुर में भुटकुन शुक्ला की हत्या के बाद से ही उनकी जान को खतरा था। 1998 में ही वे एक एडमिशन घोटाले में फंस गए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के बाद बृज बिहारी प्रसाद ने सीने में दर्द की शिकायत की और खुद को पटना के IGIMS अस्पताल में भर्ती करा लिया। पुलिस की कड़ी सुरक्षा में वे अस्पताल में भर्ती थे। लालू प्रसाद यादव के करीबी होने की वजह से बृज बिहारी प्रसाद का रुतबा भी बहुत था। उन्हें खुद भी अपनी जान को खतरा था।
13 जून 1998 को जब वे पटना के IGIMS अस्पताल में पुलिस सुरक्षा के बीच टहल रहे थे, तभी श्रीप्रकाश शुक्ला लाल बत्ती लगी कार में अपने तीन साथियों के साथ वहां पहुंचे और बृज बिहारी प्रसाद पर AK-47 से गोलियां बरसा दीं। AK-47 की आवाज से पूरा अस्पताल दहल गया। यह घटना पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई थी।
बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड के बाद श्रीप्रकाश शुक्ला कुछ समय के लिए फरार हो गए थे। बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने उन्हें गाजियाबाद में एक मुठभेड़ में मार गिराया। बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के बाद मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी अस्पताल पहुंची थीं। बाद में बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी रमा देवी राबड़ी देवी सरकार में मंत्री बनीं। वे 2009 से 2024 तक भाजपा के टिकट पर सांसद भी रहीं।
बृज बिहारी प्रसाद की एक और बाहुबली देवेंद्र दुबे से भी दुश्मनी थी। दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे थे। 25 फरवरी 1998 को जब देवेंद्र दुबे जेल से रिहा होकर अरेराज लौट रहे थे, तभी उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। देवेंद्र दुबे की हत्या का आरोप बृज बिहारी प्रसाद पर लगा था। उस समय बृज बिहारी प्रसाद बिहार सरकार में ऊर्जा मंत्री थे। देवेंद्र दुबे की हत्या के बाद उनके भतीजे मंटू तिवारी ने कसम खाई थी कि जब तक वे अपने चाचा की मौत का बदला नहीं लेंगे, तब तक शादी नहीं करेंगे। मंटू तिवारी भी अंडरवर्ल्ड में अपनी एक अलग पहचान बना चुके थे।