केके पाठक ने वंशीधर ब्रजवासी को MLC बना दिया! नीतीश-तेजस्वी और पीके को शिकस्त देने वाले की दिलचस्प कहानी

Bihar MLC Election: तिरहुत स्नातक एमएलसी सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार वंशीधर ब्रजवासी ने जीत दर्ज की। ब्रजवासी ने नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर समर्थित उम्मीदवारों को हराया। वे पूर्व में शिक्षक थे।

बिहार विधान परिषद की तिरहुत स्नातक एमएलसी सीट पर एक बड़ा उलटफेर हुआ है। निर्दलीय शिक्षक नेता वंशीधर ब्रजवासी ने नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर जैसे दिग्गज नेताओं के उम्मीदवारों को हराकर जीत हासिल की है। यह सीट जेडीयू के पास थी, जो देवेश चंद्र ठाकुर के सांसद बनने के बाद खाली हुई थी। उपचुनाव में जेडीयू के उम्मीदवार अभिषेक झा चौथे नंबर पर रहे। प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज पार्टी के विनायक विजेता दूसरे स्थान पर रहे। ब्रजवासी की जीत को केके पाठक के फैसले से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसके कारण उन्हें नौकरी से बर्खास्त किया गया था।

तिरहुत स्नातक क्षेत्र से एमएलसी चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार वंशीधर ब्रजवासी ने बड़ी जीत दर्ज की है। उन्होंने जेडीयू, आरजेडी और जन सुराज पार्टी जैसे बड़े दलों के उम्मीदवारों को पछाड़ दिया है। यह जीत ब्रजवासी के लिए बेहद खास है, क्योंकि उन्हें कुछ महीने पहले ही सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया गया था। उनकी जीत के पीछे शिक्षकों का बड़ा समर्थन माना जा रहा है।

वंशीधर ब्रजवासी की जीत की कहानी काफी दिलचस्प है। जीत के बाद उन्होंने सबसे पहले नीतीश सरकार को धन्यवाद दिया। उनका कहना था कि सरकार को धन्यवाद इसलिए देना चाहता हूं क्योंकि अगर सरकार ने मुझे नौकरी से बर्खास्त नहीं किया होता तो आज मैं एमएलसी नहीं बनता। उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने कार्रवाई की तभी शिक्षक गोलबंद हुए और उसका नतीजा सामने है। इस बयान से साफ है कि ब्रजवासी अपनी बर्खास्तगी को अपनी जीत का कारण मानते हैं।

वंशीधर ब्रजवासी मुजफ्फरपुर जिले के मड़वन प्रखंड के एक स्कूल में प्रखंड शिक्षक थे। वे नियोजित शिक्षकों के संघ के अध्यक्ष भी थे। नियोजित शिक्षकों की मांगों को लेकर वे अक्सर आंदोलन करते रहते थे। केके पाठक के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव बनने के बाद मामला बिगड़ गया। पाठक ने शिक्षकों के किसी भी तरह के आंदोलन पर रोक लगा दी थी और शिक्षक संघ को अवैध घोषित कर दिया था।

केके पाठक के निर्देश पर वंशीधर ब्रजवासी के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई। 28 मार्च को मुजफ्फरपुर के डीपीओ ने मड़वन प्रखंड नियोजन इकाई को ब्रजवासी के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इसके बाद ब्रजवासी को निलंबित कर दिया गया और विभागीय कार्रवाई शुरू हो गई। हालांकि केके पाठक जल्द ही शिक्षा विभाग से चले गए, लेकिन ब्रजवासी के खिलाफ कार्रवाई जारी रही। आखिरकार 24 जुलाई को मड़वन प्रखंड के बीडीओ ने ब्रजवासी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया।

इसी दौरान तिरहुत स्नातक सीट पर उपचुनाव की घोषणा हो गई। जेडीयू के देवेश चंद्र ठाकुर के सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई थी। शिक्षकों ने वंशीधर ब्रजवासी को अपना उम्मीदवार बनाया। ब्रजवासी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और सभी बड़ी पार्टियों के उम्मीदवारों को हराकर जीत हासिल की। यह जीत शिक्षकों की एकजुटता और ब्रजवासी के संघर्ष का नतीजा है। इस जीत ने बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है।

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