Varanasi-Kolkata Expressway: वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे एक बड़ी परियोजना है। यह 610 किलोमीटर लंबा होगा। यह एक ग्रीनफील्ड परियोजना है, मतलब यह पूरी तरह से नया मार्ग होगा। इससे वाराणसी और कोलकाता के बीच यात्रा का समय 15 घंटे से घटकर 9 घंटे रह जाएगा। इससे लोगों का समय और पैसा बचेगा। यह एक्सप्रेसवे चार राज्यों को जोड़ेगा, जिससे व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के वाराणसी से शुरू होगा। फिर यह बिहार में प्रवेश करेगा। बिहार में, यह कैमूर, औरंगाबाद, रोहतास और गया जिलों से होकर गुजरेगा। बिहार में इसकी कुल लंबाई 159 किलोमीटर होगी। इसके बाद यह झारखंड और फिर पश्चिम बंगाल में प्रवेश करेगा। पश्चिम बंगाल में यह कोलकाता तक जाएगा।

यह एक्सप्रेसवे NH-19 (पुराना NH-12) के समानांतर बनेगा। यह वाराणसी रिंग रोड को पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के उलुबेरिया में NH-16 से जोड़ेगा। छह लेन वाला यह एक्सप्रेसवे यातायात को सुचारु रूप से चलाने में मदद करेगा। वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके पूरा होने से लोगों को काफी सुविधा होगी और क्षेत्र का विकास होगा।

इस एक्सप्रेसवे के बनने से लोगों को बहुत फायदा होगा। किसान अपनी फसलें आसानी से बाजार तक पहुंचा सकेंगे। कारोबारियों के लिए माल ढुलाई आसान हो जाएगी। पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि लोग आसानी से एक जगह से दूसरी जगह जा सकेंगे। इससे नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

बिहार से एक और महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे, गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे भी गुजरेगा। यह एक्सप्रेसवे बिहार के 9 जिलों से होकर गुजरेगा। इन जिलों में पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, फारबिसगंज और किशनगंज शामिल हैं। यह एक्सप्रेसवे भी पश्चिम बंगाल तक जाएगा। इन दोनों एक्सप्रेसवे के निर्माण से बिहार और आसपास के राज्यों की कनेक्टिविटी में काफी सुधार होगा। इससे क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी।