मुंबई: आज के दौर में लंबे समय तक कार्य करने वाले लोगों में काफी बदलाव हुआ है। साथ ही काम के घंटे पर भी चर्चा होने लगी है। पहले ओवर टाइम काम करना सम्मान की बात थी। हाल के वर्षों में कार्य और जीवन में संतुलन बढ़ाने पर जोर बढ़ा है। अपने दफ्तरों में अधिक समय देने की तुलना में लोग निजी जीवन को प्रथामिकता देने लगे हैं। इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट में कार्यरत एक टेकी का पोस्ट वायरल है।

वीक में 15-20 घंटे ही काम

रोम वांग नाम के एक यूजर ने एक्स पर पोस्ट लिखा है, जिसने इंटरनेट यूजर्स का ध्यान खींचा है। रोमा वांग ने लिखा कि माइक्रोसॉफ्ट में काम करने वाले अपने दोस्त से बात कर रहा हूं और जाहिर तौर पर वह हफ्ते में 15-20 घंटे काम करता है। बाकी समय लीग खेलता है और इसके लिए उसे 300के डॉलर मिलते हैं।


दो मिलियन लोग देख चुके पोस्ट

इस पोस्ट को अब तक दो मिलियन से ज्यादा बार देखा जा चुका है, जिसने आधुनिक वर्क कल्चर के बारे में ऑनलाइन बहस छेड़ दी है, जिसमें कई यूजर्स ने अपने विचार साझा किए हैं।

लोग बता रहे हैं ड्रीम जॉब्स

वहीं, इंटरनेट पर इसे लेकर बहस छिड़ गई है। एक इंडियन यूजर्स ने लिखा कि माइक्रोसॉफ्ट बेहद आकर्षक है और ड्रीम जैसा । माइक्रोसॉप्ट में मेरे लगभग सभी दोस्तों के पास कम घंटे हैं और कोई तनाव नहीं है। वे ढेर सारा पैसा कमाते हैं। हमेशा बिना किसी तनाव के आराम करना चाहते हैं। यह मैट्रिक्स में असली गड़बड़ हैं और मैं उनके लिए खुश हूं।

वहीं,कुछ अन्य यूजर्स ने लिखा कि यह कैसे संभव है, मैं कहां साइन अप करूं। दूसरे मजाक में लिखा कि यह आदमी सपने में जी रहा है जबकि मैं यहां सप्ताह में 50 घंटे काम कर रहा हूं।

हालांकि कुछ लोग संशय में थे। यह सच होने के लिए बहुत अच्छा लगता है। जब चीजें कठिन हो जाती हैं तो दबाव के बारे में क्या।

वर्क कल्चर के बारे में बातचीत माइक्रोसॉफ्ट तक ही सीमित नहीं है। हाल ही में गूगल सिंगापुर ऑफिस के एक कॉरपोरेट कर्मचारी ने वीडियो शेयर किया था। जिसमें कोरियाई प्रवासी ने दिखाया था कि गूगल ऑफिस में कैसे पूरा दिन उसका गुजरता है।


गूगल ऑफिस पहुंचने से पहले उसके दिन की शुरुआत मेट्रो से होती है। दफ्तर में फ्री खान, छत पर बगीचे तक पहुंच और यहां तक कि झपकी लेने के कमरे और सैलून सहित अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं का आनंद है। उसने बताया कि तनाव मुक्त वातावरण कार्य में योगदान बढ़ाता है जो कि नेटिजेंस के बीच चर्चा का विषय बन गया है।

गौरतलब है कि माइक्रोसॉफ्ट और गूगल के बारे में दोनों पोस्टों ने काम की बदलती प्रकृति और भावी पीढ़ियों को अपने कार्यस्थलों से क्या उम्मीदें हो सकती हैं। इस बारे में चर्चाओं को जन्म दिया है।