Bihar School News: बिहार के इस जिले में बंद हो गए 20 संस्कृत स्कूल, फंड की कमी से कराह रहे 14 विद्यालय
Bihar Sanskrit School: बिहार के औरंगाबाद जिले में संस्कृत शिक्षा की स्थिति चिंताजनक है। सरकार के प्रोत्साहन के दावों के बावजूद 20 संस्कृत विद्यालय बंद हो चुके हैं। सिर्फ 14 स्कूल किसी तरह चल रहे हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं की कमी है।;
औरंगाबाद: बिहार के औरंगाबाद जिले में संस्कृत शिक्षा का बुरा हाल है। 20 संस्कृत स्कूल बंद हो गए हैं। केवल चौदह स्कूल ही किसी तरह चल रहे हैं। लेकिन इन स्कूलों में पढ़ाई के लिए बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं। स्कूलों में भवन नहीं हैं, पुस्तकालय नहीं हैं और प्रयोगशाला भी नहीं है। कई स्कूलों में तो शिक्षकों की भी कमी है। हालांकि, जो शिक्षक हैं उन्हें उनका वेतन मिल रहा है। पर बच्चों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि नहीं मिल रही है। इस वजह से स्कूलों में बच्चों की संख्या दिन-ब-दिन कम होती जा रही है।
बच्चों की प्रोत्साहन राशि के लिए कई बार मांग की गई है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। स्कूलों के भवन निर्माण के लिए भी सरकार ने अभी तक कोई पैसा नहीं दिया है। इस स्थिति के कारण जिले में अब गिने-चुने संस्कृत स्कूल ही बचे हैं। जो 14 स्कूल बचे हैं उनमें से छह हसपुरा प्रखंड में हैं। सरकार ने इन चौदह स्कूलों के शिक्षकों के वेतन के लिए इस साल 2.67 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। लेकिन अभी तक किसी भी स्कूल को यह पैसा नहीं मिला है।
साल 1912 में एक मदरसे के सामने रामनरेश सिंह संस्कृत महाविद्यालय खोला गया था। इस स्कूल में बच्चे नियमित रूप से पढ़ने आते हैं। इन बच्चों में अधिकतर मुस्लिम समुदाय के हैं। मुस्लिम छात्र-छात्राएं भी यहां संस्कृत पढ़ते हैं। छात्रा शबाना और आमरीन प्रवीण ने बताया कि संस्कृत पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं होती है।
स्कूल के प्रधानाध्यापक प्रफुल्ल कुमार ने बताया कि स्कूल में छात्र-छात्राएं नियमित रूप से आते हैं। सरकारी स्कूल का जो समय तय है, उसी के हिसाब से पढ़ाई होती है। लेकिन इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को मिड-डे-मील नहीं मिलता।
संस्कृत स्कूलों के लिए संघर्ष कर रहे सूरजपत सिंह ने बताया कि सरकार का ध्यान न होने के कारण औरंगाबाद के अलग-अलग प्रखंडों में लगभग बीस स्कूल बंद हो गए हैं। संस्कृत स्कूल हमेशा से सरकार की उपेक्षा का शिकार रहे हैं। अगर सरकार ध्यान देती तो इन्हें बंद नहीं किया जाता।
डीपीओ दयाशंकर प्रसाद ने बताया कि औरंगाबाद में चौदह संस्कृत स्कूल चल रहे हैं। सभी स्कूल तय समय पर खुलते हैं। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को नियमित शिक्षा दी जाती है। लेकिन सरकार ने अभी तक भवन निर्माण के लिए कोई पैसा नहीं दिया है।