बिहार के शिक्षकों को मिली एक और जिम्मेदारी, एस सिद्धार्थ का नया फरमान जानिए

Bihar Teacher News: बिहार के सरकारी स्कूलों में कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए क्लास टीचरों को जिम्मेदारी दी गई है। वे बच्चों के नाश्ता और भोजन का ब्योरा भी रखेंगे।

Update: 2024-10-07 08:32 GMT

बिहार में सरकारी स्कूलों के कुपोषित बच्चों पर अब शिक्षा विभाग की नजर रहेगी। शिक्षा विभाग ने निर्देश दिया है कि स्कूलों में कुपोषित बच्चों की पहचान की जाए और उनके पोषण व स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाए। इसके लिए क्लास टीचर यानी वर्ग शिक्षक को जिम्मेदारी सौंपी गई है। वो अपनी कक्षा के बच्चों में से कुपोषित बच्चों को चिन्हित करेंगे। साथ ही, उनके खाने-पीने का भी पूरा ब्यौरा रखेंगे।

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने सभी जिलों के डीईओ को इस बारे में निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्होंने कहा है कि शिक्षकों को यह भी देखना होगा कि बच्चा सुबह नाश्ता करके आया है या नहीं। स्कूल में उसे मेन्यू के अनुसार मिड डे मील मिल रहा है या नहीं। इसके अलावा शिक्षक ऐसे बच्चों के परिवार की जानकारी भी इकट्ठा करेंगे। वे पता लगाएंगे कि कहीं कुपोषण की समस्या सिर्फ बच्चे में तो नहीं है या उसके परिवार में भी पहले कोई कुपोषित तो नहीं रहा है।

बच्चों को कुपोषण से बचाने और उन्हें पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए पीएम पोषण योजना के तहत राज्य के सभी स्कूलों में मिड डे मील दिया जाता है। इसके लिए हर दिन का मेन्यू भी तय किया गया है। शिक्षा विभाग का मानना है कि बच्चों का सर्वांगीण विकास ज़रूरी है। इसलिए, शिक्षकों को बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य और पोषण पर भी ध्यान देना होगा।

बच्चों को ताजा और स्वास्थ्यवर्धक भोजन मिले, इसके लिए शिक्षा विभाग ने एक और अहम कदम उठाया है। विभाग ने निर्देश दिया है कि स्कूलों में ही जैविक खेती की जाए और वहीं उगाई गई सब्जियों का इस्तेमाल मिड डे मील बनाने में किया जाए। इसके लिए राज्य के 40 हजार स्कूलों में 'पोषण वाटिका' बनाई जाएंगी। अकेले भागलपुर में ही 1754 में से 526 स्कूलों में 'पोषण वाटिका' विकसित की जाएंगी। योजना के तहत स्कूलों की घेराबंदी, उपकरणों की खरीद, बीज और पौधे समेत अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराई जाएंगी।

अपर मुख्य सचिव ने सभी डीईओ को निर्देश दिया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि स्कूलों में बच्चों को सुरक्षित और स्वास्थ्यप्रद माहौल मिले। उन्होंने कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य की निगरानी मिड डे मील योजना के ज़रिए की जाए। इसके लिए शिक्षा विभाग ने एक पोर्टल बनाया है। इस पोर्टल पर रोजाना मिड डे मील खाने वाले बच्चों की संख्या, उनके स्वास्थ्य की रिपोर्ट और उन्हें दी जाने वाली दवाओं का पूरा ब्यौरा दर्ज किया जाएगा। इस संबंध में हाल ही में राज्य स्तरीय बैठक में एमडीएम निदेशक योगेंद्र सिंह ने सभी जिलों के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (मिड डे मील) को निर्देश जारी कर दिए हैं।

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