बिहार शिक्षा विभाग को 10-12 साल से लगा रहे थे 'चूना', मास्टर साहब 'थर्ड आई' से बच नहीं पाए

Bihar Teacher News: बिहार में 2006 से 2015 के बीच फर्जी डिग्री पर नौकरी पाने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई है। निगरानी विभाग ने मुजफ्फरपुर के 6 शिक्षकों पर मामला दर्ज किया है।

Update: 2024-10-08 15:05 GMT

बिहार में फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी करने वाले शिक्षकों पर शिकंजा कसता जा रहा है। मुजफ्फरपुर जिले के सरैया में ऐसे ही छह शिक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो (SVU) ने यह कार्रवाई की है। आरोप है कि इन शिक्षकों ने 2006 से 2015 के बीच फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की और 10-12 सालों से सरकारी खजाने को चूना लगा रहे थे।

निगरानी को मामले की जांच में पता चला है कि इन शिक्षकों ने असम के एससीईआरटी से जारी फर्जी प्रमाण पत्र और मार्कशीट के आधार पर नौकरी हासिल की थी। निगरानी विभाग ने जब असम एससीईआरटी से इसकी पुष्टि की तो मामला खुल गया। एससीईआरटी ने साफ इनकार कर दिया कि उसने ऐसे कोई प्रमाण पत्र जारी किए हैं।

जिन शिक्षकों पर मामला दर्ज किया गया है, उनमें सरैया के उच्च माध्यमिक विद्यालय वीरपुर की वंदना कुमारी, उच्च माध्यमिक विद्यालय तुरकौलिया उर्दू के अनवारूल हक, उच्च माध्यमिक विद्यालय रघवा छपरा के अरविंद कुमार, उच्च माध्यमिक विद्यालय बघनगरी बालक की कुमारी प्रीति, उच्च माध्यमिक विद्यालय बघनगरी बालक की रिंकी कुमारी और उच्च माध्यमिक विद्यालय बघनगरी के मनोरंजन कुमार शामिल हैं।

विजिलेंस का कहना है कि इन शिक्षकों ने साजिश रचकर फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी हासिल की और सरकारी पैसे का गबन किया। एफआईआर में साफ तौर पर लिखा गया है कि गुवाहाटी ( असम ) के इन शिक्षकों ने भर्ती के समय एससीईआरटी असम के नाम पर शिक्षक प्रशिक्षण के फर्जी प्रमाण पत्र और मार्कशीट पेश किए थे। जबकि ये मार्कशीट और प्रमाण पत्र गुवाहाटी स्थित एससीईआरटी द्वारा जारी नहीं किए गए थे।

निगरानी की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि आरोपी शिक्षकों से जल्द ही पूछताछ की जाएगी और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। विजिलेंस को शक है कि इन शिक्षकों को फर्जी प्रमाण पत्र किसी गिरोह ने मुहैया कराए हैं। जांच के दौरान यह भी पता चला है कि सभी अभ्यर्थियों को एक ही जगह के फर्जी प्रमाण पत्र दिए गए थे। विभाग इस गिरोह का पता लगाने की कोशिश कर रहा है और इसके लिए एक विशेष टीम का गठन भी किया जा सकता है।

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