बिहार के सरकारी शिक्षकों के लिए होगा अलग ड्रेस? ACS एस सिद्धार्थ ने बताया

S Siddharth News: बिहार शिक्षा विभाग बच्चों को एक अप्रैल से किताबें और ड्रेस देगा। अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि स्कूल में मोबाइल लाना गलत है। प्रयोगशाला में कक्षाएं नहीं चलेंगी।

Update: 2024-12-07 13:59 GMT

Bihar Education Department: बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने शिक्षकों और बच्चों के सवालों के जवाब दिए। उन्होंने स्कूलों में बच्चों की शिक्षा, पोशाक, मोबाइल, प्रयोगशाला, मध्याह्न भोजन और शिक्षकों की ड्रेस कोड जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि एक भी अशिक्षित बच्चा पूरे गांव के लिए मुसीबत बन सकता है। इसलिए समाज को बच्चों की शिक्षा के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि 1 अप्रैल 2025 से बच्चों को नए सत्र की शुरुआत में ही किताबें और ड्रेस मिल जाएंगी।

डॉ एस सिद्धार्थ ने जोर देकर कहा कि एक भी अशिक्षित बच्चा पूरे गांव के लिए समस्या खड़ी कर सकता है। इसलिए बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए समाज की भागीदारी बहुत जरूरी है। अगर कोई बच्चा स्कूल के समय सड़क पर दिखाई दे, तो उसे स्कूल भेजना गांव और समाज की जिम्मेदारी है। उन्होंने सभी पंचायत प्रतिनिधियों से भी इस काम में सहयोग करने की अपील की।

शिक्षा विभाग बच्चों को 1 अप्रैल से ही नए सत्र की किताबें और ड्रेस उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहा है। डॉ सिद्धार्थ ने कहा कि उनका लक्ष्य है कि सरकारी स्कूलों के बच्चों को भी प्राइवेट स्कूलों के बच्चों की तरह 1 अप्रैल से ही सभी जरूरी चीजें मिल जाएं।

बच्चों द्वारा स्कूल में मोबाइल फोन लाने के बारे में डॉ सिद्धार्थ ने कहा कि यह गलत है। माता-पिता को भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों को स्कूल मोबाइल फोन न दें। हालांकि रोजाना चेकिंग करना संभव नहीं है, फिर भी स्कूलों को निर्देश दिए जाएंगे कि अगर बच्चे मोबाइल लेकर आते हैं, तो शिक्षक उसे अपने पास रख लें और बाद में वापस कर दें।

डॉ. सिद्धार्थ ने शिक्षकों से प्रयोगशालाओं में कक्षाएं न चलाने का अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि निरीक्षण के दौरान उन्होंने एक स्कूल में प्रयोगशाला को कक्षा के रूप में इस्तेमाल होते देखा, जो उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं आया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ऐसा दोबारा हुआ, तो कार्रवाई की जाएगी।

मध्याह्न भोजन के लिए अलग कमरे और कुर्सी-मेज की व्यवस्था की मांग पर डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि यह संभव नहीं है। सरकार ने बड़ी मुश्किल से बच्चों के बैठने के लिए बेंच-डेस्क की व्यवस्था की है। इतने सारे बच्चों के लिए कुर्सी-मेज का इंतजाम करना बहुत महंगा होगा। उन्होंने कहा कि पंगत में बैठकर खाना एक अच्छा अनुभव होता है, और वे खुद भी ऐसा करते हैं।

शिक्षकों के लिए अलग ड्रेस कोड के सुझाव पर डॉ सिद्धार्थ ने कहा कि फिलहाल ऐसा कोई विचार नहीं है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के लिए जींस-टीशर्ट पहनकर स्कूल आने पर रोक है, लेकिन विशेष ड्रेस की जरूरत नहीं है। बच्चे तो यूनिफॉर्म में रहते हैं। टीचर अपने ड्रेस के अनुसार आते हैं। नए ड्रेस पर हम लोगों कोई विचार नहीं कर रहे हैं।

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