बीजेपी और NC आगे क्यों रही? हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव को आंकड़ों से समझिए
हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद इसके मायने मतलब निकाले जा रहे हैं। हरियाणा में बीजेपी ने अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया वह भी तब जब तमाम एग्जिट पोल उसके हार की भविष्यवाणी कर रहे थे। वहीं जम्मू-कश्मीर में जनता ने निर्णायक बहुमत दिया है।
नई दिल्ली: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों नतीजों के कई मायने निकाले जा रहे हैं। मंगलवार को आए रिजल्ट में बीजेपी ने हरियाणा में ऐतिहासिक तीसरी बार सत्ता में वापसी की। 90 सदस्यीय विधानसभा में 48 सीटें हासिल कर लीं। यह प्रदर्शन 2014 के उसके सफलता से भी बेहतर रहा, जब बीजेपी पहली बार हरियाणा में अपने दम पर सत्ता में आई थी। बीजेपी ने कांग्रेस की वापसी को रोकते हुए सत्ता बरकरार रखी।
वहीं, जम्मू और कश्मीर में 2018 में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार के जाने और अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हुए। नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस के गठबंधन ने 48 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया।
हरियाणा विधानसभा चुनाव
हरियाणा में बीजेपी ने 48 सीटें जीतीं, जो 2014 के मुकाबले एक सीट अधिक है। कांग्रेस ने 37 सीटें जीतीं और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने दो। तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी जीते। जेजेपी और आम आदमी पार्टी (AAP) को कोई सीट नहीं मिली। बीजेपी ने इस बार हरियाणा में 89 सीटों पर चुनाव लड़ा। इसका सीट शेयर 53.3% और वोट शेयर 39.9% रहा, जो पार्टी के लिए किसी भी विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक है।
कांग्रेस का वोट शेयर 39.09% रहा, जो 2005 के बाद से सबसे अधिक है। 2019 में बीजेपी का वोट शेयर 36.49% और कांग्रेस का 28.08% था।इनेलो का वोट शेयर 2019 के मुकाबले बढ़कर 4.14% हो गया, जबकि पिछली बार यह 2.44% था। NOTA को 0.38% वोट मिले, जबकि पिछली बार यह 0.52% था।
जम्मू -कश्मीर चुनाव
नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) जम्मू-कश्मीर में 42 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी। कांग्रेस ने 6 सीटें जीतीं। बीजेपी ने 29 सीटें हासिल कीं, जबकि पीडीपी को 3 सीटें मिलीं। जम्मू और कश्मीर पीपल्स कॉन्फ्रेंस, सीपीआई (मार्क्सवादी) और आम आदमी पार्टी ने एक-एक सीट जीती। सात निर्दलीय उम्मीदवार भी जीते।
एनसी का वोट शेयर 23.43% रहा, जबकि बीजेपी का वोट शेयर 25.64% था। कांग्रेस का वोट शेयर 11.97% रहा। बीजेपी ने जम्मू क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि एनसी ने कश्मीर क्षेत्र में अपने विधायकों की संख्या 15 से बढ़ाकर 42 कर ली। कांग्रेस के विधायकों की संख्या 2014 में 12 से घटकर 2024 में 7 रह गई।